गाजियाबाद के पुनीत अग्रवाल को 22 साल बाद मिला इंश्योरेंस क्लेम.


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Insurance Claim: गाजियाबाद के पुनीत अग्रवाल की कार 2003 में हरिद्वार यात्रा के दौरान चोरी हो गई थी. 22 साल बाद उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को ₹1,43,689 और ₹5,000 हर्जाने के रूप में देने का आदेश दिया.

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चोरी हुई कार और 22 साल बाद क्लेम! आपके साथ ऐसा हो तो क्‍या करें?

Insurance Claim: कार चोरी की घटनाएं आम होती जा रही हैं, चाहे आप किसी छोटे शहर में हों या बड़े मेट्रो शहर में, कार की चोरी कही पर भी हो सकती है. ऐसे में सिर्फ सावधानी बरतना ही काफी नहीं है, बल्कि यह भी जरूरी है कि अगर आपकी कार चोरी हो जाए तो उससे जुड़े इंश्योरेंस के क्लेम प्रोसेस के बारे में आपको पहले से पता हो. हाल ही में गाजियाबाद के रहने वाले एक शख्स ने कार का इंश्योरेंस कराया था और यह सोचकर निश्चिंत था कि उसकी संपत्ति अब सुरक्षित है. लेकिन जब असली जरूरत पड़ी तो बीमा कंपनी उसके भरोसे पर खरा नहीं उतर पाई.

गाजियाबाद के पुनीत अग्रवाल की कार 2003 में हरिद्वार यात्रा के दौरान चोरी हो गई थी. उन्होंने इंश्योरेंस क्लेम किया, लेकिन कंपनी ने भुगतान नहीं किया. इसके बाद उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करवाई. आयोग ने कंपनी को क्लेम राशि का 75% और 5,000 रुपये मुआवज़े के रूप में देने का आदेश दिया। यह फैसला उपभोक्ताओं के अधिकारों को मजबूती देता है.

22 साल बाद इंश्योरेंस क्लेम मिला

इस मामले में कार मालिक पुनीत अग्रवाल ने हरिद्वार में कार चोरी की एफआईआर दर्ज कराई थी. उस समय उनकी कार बीमित थी. चोरी की सूचना उन्होंने तुरंत नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और लोन देने वाले आईसीआईसीआई बैंक को दे दी थी. फिर भी क्लेम नहीं मिला, जिसके बाद उन्होंने उपभोक्ता फोरम का सहारा लिया.

2003 में कार चोरी के एक मामले में गाजियाबाद के पुनीत अग्रवाल को आखिरकार 22 साल बाद इंश्योरेंस क्लेम मिला. कार चोरी की रिपोर्ट हरिद्वार में दर्ज हुई थी और बीमा कंपनी को इसकी सूचना भी दी गई थी, लेकिन कंपनी ने भुगतान नहीं किया. शख्स ने जिला उपभोक्ता फोरम में केस दाखिल किया, जहां सुनवाई के बाद बीमा कंपनी को ₹1,43,689 और ₹5,000 हर्जाने के रूप में देने का आदेश दिया गया.

इन स्टेप्स की मदद से जल्द होगा इंश्योरेंस क्लेम

कार चोरी या दुर्घटना के तुरंत बाद FIR दर्ज कराएं

अगर आपकी कार चोरी हो जाए तो सबसे पहला कदम है बिना देर किए नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर FIR दर्ज कराना. यह दस्तावेज इंश्योरेंस क्लेम प्रक्रिया में सबसे जरूरी होता है, क्योंकि इससे यह प्रमाणित होता है कि गाड़ी चोरी हुई है. FIR की कॉपी सुरक्षित रखें क्योंकि बीमा कंपनी को क्लेम देने के लिए इसकी जरूरत पड़ेगी.

इंश्योरेंस कंपनी और बैंक को समय पर नोटिफाई करें

कार चोरी होने का पता चलने पर बिना किसी देरी के अपनी इंश्योरेंस कंपनी को इसकी जानकारी दें. इससे क्लेम प्रोसेस शुरू हो जाता है. कंपनी आपसे कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स मांगेगी, जैसे FIR की कॉपी, गाड़ी के पेपर्स और इंश्योरेंस पॉलिसी. जितनी जल्दी आप सूचना देंगे और दस्तावेज जमा करेंगे, क्लेम उतनी ही जल्दी प्रोसेस होगा.
क्लेम फॉर्म भरना न भूलें

इंश्योरेंस क्लेम के लिए आपको सबसे पहले कंपनी का क्लेम फॉर्म भरना होगा. इसमें आपको अपनी कार से जुड़ी सारी जरूरी जानकारी देनी होती है. इस फॉर्म के साथ FIR की कॉपी, गाड़ी के रजिस्ट्रेशन पेपर्स, ड्राइविंग लाइसेंस, इंश्योरेंस पॉलिसी और अन्य डॉक्यूमेंट्स ईमेल या पोस्ट के जरिए इंश्योरेंस कंपनी को भेजने होते हैं. इसके अलावा, आरटीओ को भी कार चोरी की सूचना देना जरूरी होता है ताकि गाड़ी को ब्लैकलिस्ट किया जा सके.

जब पुलिस कार की नॉन-ट्रेसेबल रिपोर्ट जमा कर देती है, तो इंश्योरेंस क्लेम का अगला प्रोसेस शुरू होता है. इसके तहत वाहन मालिक को गाड़ी का रजिस्ट्रेशन इंश्योरेंस कंपनी के नाम ट्रांसफर करना होता है. साथ ही, गाड़ी की दोनों चाबियां कंपनी को देनी होती हैं. इसके अलावा, एक सब्रोगेशन लेटर देना होता है, जिससे यह स्पष्ट हो कि कार पर अब कंपनी का अधिकार होगा और भविष्य में अगर वह कार कहीं मिलती है तो कंपनी उस पर दावा कर सकती है.

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