Battle of Karbala: करबला से काशी तक… आखिर क्यों माना जाता है कि इमाम हुसैन का रिश्ता भारत से अटूट है?


Karbala in India: करबला की जंग भले ही सदियों बीत चुकी हैं, लेकिन उसकी आवाज आज भी भारत की गलियों और मोहल्लों में सुनाई देती है. अरब की जमीन पर हुई यह जंग सिर्फ इस्लामी इतिहास तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरी इंसानियत को एक बड़ा सबक दे गई.

इमाम हुसैन ने अपनी कुर्बानी देकर दुनिया को यह पैगाम दिया कि जुल्म और अन्याय के सामने झुकना नहीं चाहिए. शायद यही वजह है कि भारत जैसे देश में भी उनकी यादें गहराई से बसती हैं. मुहर्रम के मौके पर लोग आज भी उन्हें मोहब्बत और इज्जत से याद करते हैं. चलिए जानते हैं इस जंग की हकीकत क्या है…

मुहर्रम में गूंजता भारत हर तरफ ‘या हुसैन’ की सदा
भारत में जब मुहर्रम का महीना आता है तो हर जगह गम और मातम का माहौल दिखाई देता है. इस मौके पर लोग बड़े-बड़े जुलूस निकालते हैं, जिसमें बच्चे, बुजुर्ग और औरतें सब शामिल होते हैं. हाथों में ताजिए उठाए जाते हैं, लोग सीना पीटकर इमाम हुसैन की याद में मातम करते हैं और हर तरफ ‘या हुसैन’ की सदा सुनाई देती है.

कई शहरों की गलियां पूरी तरह काले कपड़ों और मातमी नारों से भर जाती हैं. यह नजारा बताती है कि करबला की गूंज सिर्फ अरब तक नहीं रही, बल्कि हिंदुस्तान की मिट्टी में भी गहराई से दर्ज हो चुकी है.

हर धर्म से जुड़ा हुसैन का रिश्ता 
इमाम हुसैन की कुर्बानी सिर्फ मुसलमानों तक सीमित नहीं रही, बल्कि हिंदू और सिख भी उन्हें याद करते हैं. मुहर्रम के दौरान कई जगहों पर अलग-अलग धर्मों के लोग ताजियों के जुलूस में शामिल होकर इंसानियत की इस मिसाल को सलाम करते हैं.

यह नजारा साबित करता है कि हुसैन का पैगाम मजहब की दीवारों से परे है. उनकी यादें लोगो को एकजुट करती हैं और यही वजह है कि हिंदुस्तान की विविधता में भी हुसैन की मोहब्बत गहराई से महसूस की जाती है.

लखनऊ और काशी की मिसाल 
भारत के कई शहरों में करबला की यादें आज भी पूरी शिद्दत से जिंदा है. लखनऊ, हैदराबाद और काशी जैसे शहर इस बात की सबसे बड़ी मिसाल हैं. यहां मुहर्रम के दिनों में आजाखाने सजाए जाते हैं, मातमी जुलूस निकलते हैं और ताजिए उठाने की पुरानी रिवाज निभाई जाती हैं.

इन रस्मों में हरे तबके और हर मजहब के लोग शामिल होते हैं. यह सब देख कर लगता है कि करबला का असर सिर्फ अरब तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हिंदुस्तान की मिट्टी में भी गहराई से बस चुका है.

हुसैन का संदेश
इमाम हुसैन की कुर्बानी ने पूरी दुनिया को एक अहम सबक दिया कि, अन्याय और जुल्म के सामने कभी झुकना नहीं चाहिए. उन्होंने अपने परिवार और साथियों की जान देकर इंसानियत को यह सीख दी कि सच्चाई और हक के राह पर डटे रहना ही असली जीत है.

यही वजह है कि हिंदुस्तान जैसे देश में, जहां अलग-अलग धर्म और जातियां रहती हैं, लोग हुसैन को आज भी याद करते हैं. उनकी कुर्बानी का असर भारत की रूह में गहराई तक दर्ज है और इसी वजह से करबला से काशी तक का रिश्ता अटूट माना जाता है.

ये भी पढ़ें: राबिया बसरी सच्ची मोहब्बत और इबादत की अनोखी दास्तान, जो आज भी है प्रेरणा!

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



Source link


Discover more from News Hub

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Referral link

Discover more from News Hub

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading