Efficient Lithium Extraction Method| Sustainable Lithium Extraction Method| नई तकनीक से लिथियम एक्सट्रैक्शन

लिथियम को ‘व्हाइट गोल्ड’ कहा जाता है, क्योंकि यह मोबाइल, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बहुत जरूरी है. अब इससे जुड़ी एक अहम खबर आ गई है. जिससे देश को बढ़ा फायदा होगा.
‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को मिलेगी मजबूती
पुरानी बैटरियों से लिथियम एक्सट्रैक्शन का प्रोसेस
पुरानी बैटरियों से लिथियम निकालना आसान नहीं है. एक टन लिथियम के लिए करीब 28 टन बैटरी कचरे की जरूरत होती है. अभी जो तरीके इस्तेमाल होते हैं, वे धीमे, महंगे और कम असरदार हैं. इनमें निकल, कोबाल्ट और मैंगनीज जैसे धातुओं को पहले निकाला जाता है, जिससे लिथियम की क्वालिटी कम हो जाती है और बहुत सारा लिथियम बर्बाद हो जाता है. इस वजह से बैटरी बनाने वाली कंपनियां पुरानी बैटरियों से लिथियम निकालने में रुचि नहीं लेतीं. साथ ही, पुराने तरीकों से पर्यावरण को भी नुकसान होता है, जिससे बैटरी कचरे का कारोबार ज्यादा फायदेमंद नहीं रहता.
नई तकनीक से मिलेगा ये इलेक्ट्रिक वाहनों को फायदा
टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई के डायरेक्टर कन्नन श्रीनिवासन ने बताया कि यह तरीका कठोर केमिकल्स और ज्यादा एनर्जी के इस्तेमाल से बचता है. मुख्य शोधकर्ता अलोक रंजन पैटल ने कहा कि इस तकनीक से सिर्फ एक घंटे में 97 प्रतिशत लिथियम निकाला जा सकता है, जबकि पुराने तरीकों में एक टन लिथियम निकालने में 2-3 दिन लगते हैं. साथ ही, इस नई तकनीक से लिथियम ज्यादा शुद्ध मिलता है.
अगर इस तकनीक को बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया गया, तो बैटरी कचरे का कारोबार करने वालों को बड़ा फायदा होगा. उन्हें बेहतर कीमत मिलेगी और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा. यह भारत के लिए एक बड़ा कदम है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों और हरी ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहा है. यह खोज न केवल भारत का आयात खर्च कम करेगी, बल्कि पुरानी बैटरियों को भी एक नया खजाना बना देगी.
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