Sawan Punima 2025: राखी पूर्णिमा या श्रावण पूर्णिमा की कथा क्या है? जानें इसी दिन क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन


Sawan Purnima- India TV Hindi
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सावन पूर्णिमा

Sawan Punima 2025: श्रावण पूर्णिमा को हिंदू धर्म की प्रमुख तिथियों में से एक माना जाता है। इस दिन शिव पूजन के साथ ही दान-पुण्य और व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसी दिन रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार भी मनाया जाता है। ऐसे में श्रावण पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है। आज हम आपको बताने वाले हैं कि श्रावण पूर्णिमा की व्रत कथा क्या है,  और इसी दिन रक्षाबंधन का त्योाहार क्यों मनाया जाता है। 

श्रावण पूर्णिमा कथा 

सावन पूर्णिमा की कथा तुंगध्वज नाम के एक राजा से जुड़ी है। धार्मिक मत के अनुसार, तुंगध्वज एक नगर का राजा था जो शिकार करने का शौकीन था। एक बार शिकार के दौरान राजा अत्यधिक थक गया और एक बरगद वृक्ष के नीचे जाकर विश्राम करने लगा। वहां राजा ने कई लोगों को सत्यनारायण की पूजा करते देखा। हालांकि, अहंकार के चलते ना ही राजा उस पूजा में शामिल हुआ और ना ही भगवान को सम्मान दिया। यहां तक की राजा बिना प्रसाद लिए वापस अपने नगर लौट गया। अपने राज्य में आकर वो अचंभित था क्योंकि उसके राज्य पर किसी दूसरे राज्य के राजा ने हमला कर दिया था। तब राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ और वो जंगल की ओर भागा। 

तुंगध्वज वापस उसी स्थान पर गया जहां लोग भगवान सत्यनारायण की पूजा कर रहे थे। उस स्थान पर पहुंचकर राजा ने अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। भगवान सत्यनारायण ने उसके सच्चे पश्चाताप को देखकर उसे क्षमा कर दिया। इसके बाद जब राजा वापस अपने राज्य में पहुंचा तो स्थिति पहले के जैसी ही थी। यानि सबकुछ ठीक हो गया था। इसके बाद राजा तुंगध्वज भी भगवान सत्यनारायण की आराधना करने लगा और लंबे समय तक उसने राज्य किया। 

सावन पूर्णिमा को ही क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन? 

सावन माह की पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और शिव जी दोनों की ही पूजा की जाती है। वहीं पूर्णिमा तिथि अपने आप में ही पूर्णता का प्रतीक भी है। इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार भी इस शुभ दिन पर मनाया जाता है। ताकि भाई-बहन के पवित्र रिश्ता मजबूत बना रहे और सकारात्मकता भाई-बहन दोनों के जीवन में आए। सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन मनाने के पीछे कुछ पौराणिक कथाएं भी हैं जैसे- इसी दिन माता लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया था। इंद्राणी ने भी इस दिन रक्षासूत्र बांधा था और इंद्र की विजय हुई थी। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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