Gudiya Kab Hai 2025 (गुड़िया पर्व नाग पंचमी 2025): Nag Panchami Par Gudiya Kyu Piti Jati Hai Know When Is Gudiya Festival In 2025 – जानिए नाग पंचमी के दिन कैसे शुरू हुई गुड़िया पीटने की परंपरा


नाग पंचमी के दिन कैसे शुरू हुई गुड़िया पीटने की परंपरा
Gudiya Kab Hai 2025: इस साल नाग पंचमी का त्योहार 29 मार्च 2025 को मनाया जाएगा। क्या आप जानते हैं कि इस दिन गुड़िया पर्व भी मनाया जाता है। खास बात ये है कि इस अनोखे पर्व में बहनें कपड़ों की गुड़िया बनाती हैं जिसे भाई डंडों से पीटते हैं। लेकिन ये परंपरा कब से शुरू हुई और नाग पंचमी से इस त्योहार का क्या संबंध है यहां हम इस बारे में आपको बताएंगे।
नाग पंचमी गुड़िया क्यों पीटी जाती है (Nag Panchami Par Gudiya Kyo Piti Jati Hai)
प्रचलित कथा अनुसार एक लड़का था जो भगवान शिव का बड़ा भक्त था। इसलिए रोज सुबह मंदिर जाकर भगवान की विधिवत पूजा करता है जहां उस लड़के को प्रतिदिन नाग देवता के दर्शन भी होते थे। एक बार सावन के महीने में वह लड़का अपनी बहन के साथ शिवलिंग की पूजा करने के लिए मंदिर में गया। भाई-बहन की पूजा से खुश होकर नाग देवता उन दोनों के पास आकर बैठ गए। लड़के की बहन नाग को देखकर डर गई। उसे सोचा कि कहीं नाग उसके भाई को डस न ले इसलिए उसने नाग को डंडे से पीटना शुरू कर दिया। जब भाई ने ये देखा तो उसे सांप की हालत पर बहुत दुख हुआ। मंदिर में मौजूद पुजारी ने कहा कि तुम्हारी बहन को सर्प दोष लग चुका है जिसके कई भयंकर परिणाम तुम्हारी बहन को भुगतने पड़ेंगे। तब भाई ने इस दोष से छुटकारा पाने का उपाय पूछा तब पुजारी ने उसे कपड़े की गुड़िया बनाने को कहा।
लड़के ने पुजारी द्वारा बताई गई विधि के अनुसार एक कपड़े की गुड़िया बनाई और उसे 11 बार सीधा और 11 बार उल्टा पीटा। फिर उस गुड़िया को जमीन में गहराई में गाढ़ दिया और इसके बाद उसने नाग की विधि विधान पूजा की। भाई के ऐसा करते ही बहन को सर्प दोष से छुटकारा मिल गया। कहते हैं इसी घटना के बाद से नाग पंचमी पर गुड़िया को पीटने की परंपरा शुरू हो गई।
नाग पंचमी पर गुड़िया पीटने से जुड़ी एक कहानी ये भी बताई जाती है कि पुराने समय में लोग सांपों से बहुत डरते थे। इसलिए वो इस दिन गुड़िया पीटकर सांपों की प्रतीकात्मक रूप से पिटाई की जाती थी जिससे सांपों से बचाव की भावना जागृत होती थी। इसके साथ ही यह एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में भी किया जाता है जिसमें नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने की भावना होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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