Swami Kailashananda Giri: ‘व्रत मतलब भूखा रहना नहीं’, स्वामी कैलाशानंद गिरी से जानें उपवास के सही मायने क्या है ?


Swami Kailashananda Giri: हिंदू धर्म में अधिकतर व्रत-त्योहारों पर व्रत करने का महत्व बताया गया है. धार्मिक ग्रंथ कहते हैं कि उपवास मन को शांत करता है, इंद्रियों को वश में करता है, और ईश्वर के प्रति भक्ति बढ़ाता है. न सिर्फ हिंदू धर्म में बल्कि दूसरे धर्म में भी इसको महत्व दिया गया है.

व्रत के पुण्य को प्राप्त करने के लिए लोग निराहार, फलाहार, निर्जल और मौन व्रत आदि अपनी क्षमता के अनुसार रखते हैं लेकिन सिर्फ भूखा प्यासा रहने या मौन रहने मात्र से व्रत का उद्देश्य पूर्ण नहीं होता है. स्वामी कैलाशानंद गिरी से जानें उपवास का सही अर्थ क्या है.

स्वामी कैलाशानंद गिरी से जानें उपवास का सही अर्थ

स्वामी कैलाशानंद गिरी ने बताया कि व्रत में भूखा रहना, मौन रहने मात्र से ईश्वर की प्राप्ति नही होती है. व्रत का अर्थ है उपवास. उपवास अर्थात उप का मतलब है ईश्वर (श्रीराम, विष्ण जी, महादेव, कृष्ण जी, माता रानी) और वास कहते हैं उस दिन उनके नजदीक रहना. मन, बुद्धि, चित्त व्रत वाले दिन ईश्वर के प्रति एकाग्र रखना ही उपवास है.

स्वामी कैलाशानंद गिरी कहते हैं कि जो जिस दिन व्रत करें उस दिन भगवान को लगाएं भोग में तुलसी (कृष्ण के भोग में), बेलपत्र (शिव जी के भोग में), लौंग (देवी के भोग में), दूर्वा (गणेश जी के भोग में) जरुर डालें, भोग अर्पित करें और 108 बार अपने ईष्ट देवी के मंत्रों का जाप करें.  फिर उस प्रसाद को ग्रहण करें.

वास्तविकता में व्रत मन, विचार और भावना को शुद्ध करने की एक प्रक्रिया है. इसमें अपनी इंद्रियों को वश में करना सिखाया जाता है. अगर आपने ये सीख लिया तो आपके व्रत का उद्देश्य सफल होगा.

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Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 



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