इबादत की अहमियत: जानिए क्यों आखिरत में नमाज का हिसाब सबसे अहम माना जाता है!


Importance of Salah: नमाज हर मुसलमान की जिंदगी का बहुत अहम हिस्सा है. यह सिर्फ इबादत नहीं, बल्कि इंसान की आखिरी मंजिल यानी आखिरत में उसकी तकदीर तय कर सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिरत में नमाज का हिसाब क्यों सबसे अहम माना जाता है?

रोजाना पढ़ी जाने वाली नमाज इंसान की रूहानी ताकत और अच्छाई-बुराई का आईना है. यह आपके अच्छे और बुरे अमल का रिकॉर्ड रखती है और आखिरत में इंसान मिलने वाले इनाम या सजा में अहम भूमिका निभाती है. आइए जाने नमाज की अहमियत और फायदे..

नमाज: अल्लाह का सबसे खास तोहफा
नमाज हर मुसलमान पर फर्ज है और यह इस्लाम के पांच स्तून (स्तंभों) में से एक है. बाकी अहकाम तो अल्लाह ने फरिश्ता जिब्राइल अलैहिस्सलाम के जरिए नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम तक पहुंचाएं, लेकिन नमाज इतनी खास इबादत है कि अल्लाह तआला ने सीधे अपने प्यारे नबी सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम को अर्श पर बुलाकर यह तोहफा दिया.

जब रसूल सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम नमाज का हुकुम लेकर लौटे और सहाबा-ए-कराम को बताया तो वह बहुत खुश हुए. उनके लिए नमाज अल्लाह की रहमत और इनाम थी. लेकिन आज अफसोस है कि बहुत से मुसलमान इस इबादत को बोझ समझने लगे हैं, जबकि यह उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने का जरिया है.

अल्लाह के साथ सबसे सीधा रिश्ता 
नमाज इंसान और रब के बीच का सबसे खास और सीधा रिश्ता है. यह सिर्फ इबादत नहीं, बल्कि इंसान की रूह की हिफाजत और उसके अमल की सच्चाई दिखाने वाला जरिए है. रोजाना की गई नमाज इंसान को रूहानी ताकत देती है और दिल को सुकून पहुंचाती है.

यही रिश्ता आखिरत में इंसान के लिए महफूज और सही राह पर चलने का आधार बनता है. नमाज इंसान की रूह और ईमान को मजबूत करती है.

नेक और बुरे अमल का पैमाना 
हर रोज की गई नमाज इंसान के छोटे-बड़े अच्छे और बुरे अमल का हिसाब रखने का आसान तरीका है. यह इंसान को नेक जिंदगी जीने की राह दिखाती है और उसके रूहानी हालात को मजबूत करती है.

आमतौर पर यह इंसान को उसके अमल का आईना दिखाती है और याद दिलाती है कि कौन से काम नेक हैं और कौन से बुरे. आखिरत में यही हिसाब इंसान की कामयाबी और फजीलत तय करता है. इसलिए नमाज सिर्फ इबादत नहीं, बल्कि रूह और दिल की हिफाजत का भी जरिया है.

नमाज के रूहानी और जिस्मानी फायदे
नमाज सिर्फ रूह को सुकून देने वाली इबादत नहीं है, बल्कि शरीर के लिए भी एक बड़ी नेमत है. नमाज की हर हरकत शरीर के लिए एक तरह की एक्सरसाइज है. सजदे की हालत में दिमाग तक खून बेहतर तरीके से पहुंचता है जिससे दिमाग एक्टिव रहता है.

इसके अलावा नमाज से हड्डियां मजबूत होती हैं और खून की गर्दिश भी ठीक रहती है. नमाज से पहले जो वुजू किया जाता है, उससे इंसान कई बिमारियों से बचा रहता है और साफ-सफाई की आदत भी पक्की होती है.

क्यों कुछ लोग नमाज से दूर होते जा रहे हैं?
आजकल लोग अपने बिजी लाइफस्टाइल और आधुनिक दुनिया के दबाव में नमाज से दूर होते जा रहे हैं. मोबाइल, सोशल मीडिया और काम की व्यस्तताएं उन्हें इबादत करने का वक्त नहीं देतीं. लेकिन ऐसा होने से आखिरत में उनके हिसाब-किताब का महत्व और बढ़ जाता है.

नमाज सिर्फ इबादत नहीं, बल्कि रूह की हिफाजत का जरिया है. इसलिए इसे छोड़ना इंसान की रूहानी मजबूती पर असर डाल सकता है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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