Video: फ्लड रिलीफ पर अंकल ने खोल दी पोल! बताई सच्चाई, बोले- ये एक प्यारा बिजनेस है

Flood Relief: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है जिसमें एक शख्स ने बाढ़ और उससे जुड़े राहत कार्यों पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उसका दावा है कि भारत में हर साल बाढ़ के हालात बनते हैं, लेकिन सरकारें और प्रशासनिक तंत्र कभी भी स्थायी समाधान की दिशा में काम नहीं करते. उनकी बातों के अनुसार, बाढ़ से होने वाली तबाही के बाद सबसे ज्यादा मजबूती से जो चीज खड़ी होती है, वह है “फ्लड रिलीफ का बिज़नेस”.
राहत के नाम पर चल रहा धंधा
शख्स का दावा है कि बाढ़ आने के बाद सरकारें बड़ी-बड़ी घोषणाएँ करती हैं, राहत पैकेज जारी होते हैं, और फिर टेंडर व कॉन्ट्रैक्ट्स बांटे जाते हैं. ठेकेदार और सरकारी विभाग इसमें करोड़ों रुपये का काम करते हैं. उनका आरोप है कि अगर स्थायी समाधान निकाल लिया जाए, तो यह हर साल होने वाला कारोबार बंद हो जाएगा, और यही कारण है कि कोई भी स्थायी हल नहीं ढूंढना चाहता.
उन्होंने कहा कि – आपका बच्चा इंजीनियर नहीं बन रहा? कोई बात नहीं, उसे फ्लड रिलीफ का बिजनेस करा दीजिए. इंडिया में यह बहुत चलता है. हर साल बाढ़ आती है और हर बार नए-नए कॉन्ट्रैक्ट्स और टेंडर निकलते हैं. यह बहुत लाभदायक धंधा है.
शख्स ने आगे कहा कि यह पैसा आम जनता से, यानी टैक्सपेयर्स की जेब से आता है. जनता की कमाई का पैसा बाढ़ राहत के नाम पर खर्च किया जाता है, लेकिन असल में बाढ़ से प्रभावित लोगों की तकलीफें कभी पूरी तरह खत्म नहीं होतीं. क्योंकि उद्देश्य लोगों की समस्याओं का स्थायी हल निकालना नहीं, बल्कि राहत के नाम पर धंधा चलाना रह गया है.
बाढ़ को रोकने के लिए स्थायी समाधान नहीं
उन्होंने कहा कि बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, लेकिन भारत में यह अब अधिकतर मानव-निर्मित आपदा बन चुकी है. नदियों की सफाई, तटबंधों की मजबूती, ड्रेनेज सिस्टम की सुधार जैसे स्थायी कामों पर ध्यान नहीं दिया जाता. इसके बजाय इंतजार किया जाता है कि बाढ़ आए, तब बड़े पैमाने पर राहत कार्य शुरू हों और पैसा बहाया जाए.
वीडियो में इस शख्स ने मौजूदा हालात का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस समय पंजाब, जम्मू, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है. जगह-जगह पानी भर गया है, लोग परेशान हैं और घर-परिवार तबाह हो रहे हैं. अंत में उनका संदेश साफ था – जब तक बाढ़ को रोकने के लिए स्थायी समाधान नहीं निकाला जाएगा, तब तक हर साल यही खेल चलता रहेगा और राहत का यह धंधा चलता रहेगा. असली कीमत जनता को चुकानी पड़ेगी.
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