कुरान में महिलाओं के बारे में क्या कहा गया है?

Women in Quran: कुरान में महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा दिया गया है, और उन्हें सम्मान तथा सामाजिक भूमिकाओं में समान अधिकार दिए गए हैं. कुरान में धार्मिकता, अच्छे कर्म, शिक्षा और समाज में योगदान को महत्व दिया गया है.
इसके अलावा, महिलाओं को विवाह के माध्यम से पवित्रता बनाए रखने, संपत्ति में उचित हिस्सा पाने, और पति के जरिए अच्छा व्यवहार पाने का पूरा का पूरा अधिकार है.
कुरान में महिलाओं के लिए समानता और सम्मान दिया गया है
कुरान में महिलाओं को समानता और सम्मान पर पूरा अधिकार दिया गया है इतना ही नहीं कुरान में महिलाओं को पुरुषों के बराबरी का अधिकार दिया गया है.
समान आत्मा
कुरान कहता है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों में समान रूप से अल्लाह की आत्मा होती है, और अच्छे कर्म करने पर दोनों को जन्नत मिलेगी है.
नैतिक भूमिका
कुरान धार्मिकता को कायम रखने में महिलाओं को पुरुषों का सहयोगी मानता है. सूरह अत-तौबा (9:71) के अनुसार, ईमान वाली महिलाएं नेक काम करती हैं और गलत कामों से रोकती हैं.
विवाह में पवित्रता
पति-पत्नी एक-दूसरे की पवित्रता को विवाह के बंधन में सुरक्षित रखते हैं, जैसे वस्त्र नग्नता को छुपाता है.
क्या कुरान महिलाओं को सामाजिक और व्यक्तिगत अधिकार देती है?
कुरान महिलाओं को सामाजिक और व्यक्तिगत अधिकार देती है..
शिक्षा का महत्व
कुरान में शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने के महत्व पर बहुत जोर दिया गया है. कुरान का पहला शब्द ही “इकरा” (पढ़ो) था, जो शिक्षा के महत्व को दर्शाता है. कुरान कहता है कि ज्ञान प्राप्त करना एक धार्मिक कर्तव्य है जो आध्यात्मिक विकास, समाज में योगदान और व्यक्ति के दर्जे को ऊंचा उठाने में सहायक है.
यह केवल धार्मिक शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सभी प्रकार के लाभकारी ज्ञान शामिल हैं और यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है.
संपत्ति का अधिकार
कुरान महिलाओं को अपनी संपत्ति अर्जित करने, उस पर स्वामित्व रखने और उसका स्वतंत्र रूप से उपयोग करने का पूरा अधिकार देता है, जिसमें उन्हें विरासत में भी हिस्सा मिलता है, हालांकि विरासत में उनका हिस्सा पुरुषों के आधे के बराबर होता है.
यह अधिकार सूरह निसा की आयत 11 में लिखा है और यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को अपनी कमाई और विरासत से प्राप्त संपत्ति पर पूरा नियंत्रण मिले, जिसे कोई भी उनसे छीन नहीं सकता.
विधवाओं की सहायता
कुरान और हदीस में विधवाओं की सहायता को बहुत महत्व दिया गया है; जो व्यक्ति विधवा या गरीब की मदद करता है, उसे अल्लाह के लिए जिहाद करने या रात भर नमाज पढ़ने के समान समझा जाता है.
विधवाओं की देखभाल और सम्मान करना इस्लाम में एक पुण्य कार्य माना जाता है. कुरान में विरासत के नियमों के ज़रिए विधवाओं को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने और उनके सम्मान की रक्षा करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें एक साल का गुजारा भत्ता देने का भी उल्लेख है.
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