प्रधानमंत्री के साथ जाने वाले इंटरप्रेटर को कितनी मिलती है सैलरी, जानें आप कैसे कर सकते हैं यह काम?


जब प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर जाते हैं तो उनके साथ कैमरों के पीछे एक और खास शख्स होता है दुभाषिया. यही वह व्यक्ति होता है, जो पीएम की हर बात विदेशी नेता तक और उनकी बात पीएम तक पहुंचाता है. यानी पीएम और दूसरे देशों के बीच बातचीत की असली कड़ी यही है. ऐसे में दुभाषिए की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है.

पीएम का आधिकारिक दुभाषिया बनना आसान नहीं है. इसके लिए गहरी भाषा-ज्ञान और सांस्कृतिक समझ जरूरी है. इस नौकरी के लिए ज्यादातर इंटरप्रेटर का चयन विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) या भारतीय विदेश सेवा (IFS) से होता है.

इसके लिए कम से कम योग्यता बैचलर डिग्री है. डिग्री किसी भी विषय में हो सकती है, लेकिन अगर आपने भाषा, अंतरराष्ट्रीय संबंध या राजनीतिक विज्ञान जैसे विषय चुने हैं तो आपकी प्राथमिकता बढ़ जाती है. सिर्फ डिग्री ही काफी नहीं, आपको कम से कम दो भाषाओं में पूरी महारत चाहिए. एक हिंदी या अंग्रेजी और दूसरी कोई विदेशी भाषा जैसे फ्रेंच, रूसी, स्पैनिश, जर्मन, चीनी या अरबी. इन भाषाओं को बोलना, पढ़ना और लिखना पूरी तरह आना चाहिए.

कोर्स और ट्रेनिंग

दुभाषिया बनने के लिए कई बार विदेशी भाषाओं में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स करना जरूरी होता है. भारत में इसके लिए कुछ प्रमुख संस्थान हैं- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) और रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाला स्कूल ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेज (SFL). यहां से फ्रेंच, जर्मन, रूसी या चीनी भाषाओं में ट्रेनिंग ली जा सकती है.

ये कोर्स 6 महीने से लेकर 2 साल तक के होते हैं और इनकी फीस लगभग 25 हजार से 1 लाख रुपये तक हो सकती है. इसके अलावा Alliance Française (फ्रेंच), Max Mueller Bhavan (जर्मन) और Instituto Cervantes (स्पैनिश) जैसे विदेशी संस्थानों की शाखाएं भी भारत में कोर्स कराती हैं.

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अगर आप IFS (भारतीय विदेश सेवा) में UPSC के जरिए चयनित होते हैं, तो आपको दिल्ली स्थित Foreign Service Institute (FSI) में एक साल की ट्रेनिंग मिलती है. इसमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों की पढ़ाई, विदेशी नीति की समझ और भाषा की गहन ट्रेनिंग शामिल होती है. भारत में ही नहीं, बल्कि कई इंटरप्रेटर आगे चलकर संयुक्त राष्ट्र (UN) या यूरोपियन यूनियन (EU) में काम करने की ट्रेनिंग भी लेते हैं.

कितनी होती है सैलरी?

अगर आप IFS ऑफिसर हैं तो 7वें वेतन आयोग के हिसाब से शुरुआती सैलरी करीब 56,100 रुपये प्रति माह होती है. लेकिन विदेश में पोस्टिंग पर आपको स्पेशल फॉरेन अलाउंस मिलता है. जैसे-जैसे आपका अनुभव और पद बढ़ता है, आपकी सैलरी 1.5 लाख से 2.25 लाख रुपये प्रति माह तक पहुंच जाती है. इसके अलावा सरकारी सुविधाएं जैसे फ्री आवास, गाड़ी, सिक्योरिटी, मेडिकल सुविधा और बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी सरकार उठाती है.

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