Ganesh Ji Ki Aarti pdf Download (गणेश जी की आरती लिखित में) Live Update: Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Aarti Likhit Mein, Ganpati Ji Ki Aarti, Sukhkarta Dukhharta Lyrics Check Here


Ganesh Ji Ki Aarti Live- India TV Hindi
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गणेश जी की आरती Live

Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi, Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Aarti Likhit Mein (गणेश जी की आरती) Live: हर साल गणेशोत्सव भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक चलता है। इन दस दिनों में भक्त गणेश भगवान की विधि विधान पूजा करते हैं और सुबह-शाम उनकी आरती जरूर गाते हैं। कहते हैं जो भी भक्त इस दौरान सच्चे मन से गणपति बप्पा की आरती करता है उसके जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। यहां आप देखेंगे गणेश जी की आरती जय गणेश देवा के पूरे लिरिक्स।

गणेश जी की आरती लिरिक्स (Ganesh Ji Ki Aarti Lyrics)

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,

चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे,

मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,

और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे,

संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,

कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत,

निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,

सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,

शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो,

जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

Ganesh Ji Ki Aarti Pdf Download

ganesh ji ki aarti

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गणेश जी की आरती

सुख करता दुखहर्ता आरती (Sukh Karta Dukh Harta Aarti Lyrics Hindi)

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची ।

नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची ।

सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची ।

कंठी झलके माल मुकताफळांची ।

जय देव जय देव..

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति ।

दर्शनमात्रे मनः, कामना पूर्ति

जय देव जय देव ॥

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा ।

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा ।

हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा ।

रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया ।

जय देव जय देव..

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति ।

दर्शनमात्रे मनः, कामना पूर्ति

जय देव जय देव ॥

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना ।

सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना ।

दास रामाचा वाट पाहे सदना ।

संकटी पावावे निर्वाणी, रक्षावे सुरवर वंदना ।

जय देव जय देव..

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति ।

दर्शनमात्रे मनः, कामना पूर्ति

जय देव जय देव ॥

गणाधीश गजानन दीनदयाल आरती (Ganadhish Gajanan Deendayal Aarti Lyrics Hindi)

गणाधीश गजानन दीनदयाल आरती उतारू तेरी गौरा जी के लाल लिरिक्स आरती

ॐ गणाधीश गजानन दीनदयाल,

आरती उतारू गौरा जी के लाल।। बोलो गणाधीश……

लम्बोदर चतुर्भुज लीला तेरी न्यारी है,

वक्रतुण्ड महाकाय मूसे की सवारी है।।

भक्त जन भर भर लाये लड्डुअन के थाल

आरती उतारू गौरा जी के लाल।। बोलो गणाधीश……..

रिद्धि सिद्धि पत्नी तेरी यश लाभ दो है सुत

तेरी पूजा करने वाला हो जाये पापों से मुक्त।।

बुद्धि के प्रदाता तेरी जय हो ओमकार

आरती उतारू तेरी गौरा जी के लाल।।बोलो गणाधीश…..

ब्रम्हा विष्णु रुद्र से भी पहले पूजा तेरी है

कार्य सिद्ध हेतु तेरी कृपा भी जरूरी है।।

शंख बाजे घंटा बाजे झाँझरो के ताल

आरती उतारू तेरी गौरा जी के लाल ।। बोलो गणाधीश…

माटी से बनाया तुमको माटी तेरी पूजा है

तेरे जैसा एकदन्त और नहीं दूजा है ।

शंकर के दुलारे प्यारे गौरा जी के लाल

आरती उतारू तेरी गौरा जी के लाल। बोलो गणाधीश..

आरती श्री गणपति जी (Ganpati Ji Ki Aarti)

गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न टरैं।

तीन लोक के सकल देवता,द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

रिद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विराजें,अरु आनन्द सों चमर करैं।

धूप-दीप अरू लिए आरतीभक्त खड़े जयकार करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

गुड़ के मोदक भोग लगत हैंमूषक वाहन चढ्या सरैं।

सौम्य रूप को देख गणपति केविघ्न भाग जा दूर परैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

भादो मास अरु शुक्ल चतुर्थीदिन दोपारा दूर परैं।

लियो जन्म गणपति प्रभु जीदुर्गा मन आनन्द भरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

अद्भुत बाजा बजा इन्द्र कादेव बंधु सब गान करैं।

श्री शंकर के आनन्द उपज्यानाम सुन्यो सब विघ्न टरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

आनि विधाता बैठे आसन,इन्द्र अप्सरा नृत्य करैं।

देख वेद ब्रह्मा जी जाकोविघ्न विनाशक नाम धरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

एकदन्त गजवदन विनायकत्रिनयन रूप अनूप धरैं।

पगथंभा सा उदर पुष्ट हैदेव चन्द्रमा हास्य करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

दे शराप श्री चन्द्रदेव कोकलाहीन तत्काल करैं।

चौदह लोक में फिरें गणपतितीन लोक में राज्य करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

उठि प्रभात जप करैंध्यान कोई ताके कारज सर्व सरैं

पूजा काल आरती गावैं।ताके शिर यश छत्र फिरैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥

गणपति की पूजा पहले करने सेकाम सभी निर्विघ्न सरैं।

सभी भक्त गणपति जी केहाथ जोड़कर स्तुति करैं॥

गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥



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