सीबीएसई ने शुरू किया काउंसलिंग हब एंड स्पोक मॉडल, हर छात्र तक पहुंचेगी मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को ध्यान में रखते हुए एक बड़ी पहल की शुरुआत की है. 2025-26 शैक्षणिक सत्र से बोर्ड ने “काउंसलिंग हब एंड स्पोक स्कूल मॉडल” लागू किया है. इस मॉडल का मकसद है कि हर बच्चे को सही समय पर परामर्श सेवाएं और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा सहयोग मिल सके.
आज के समय में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों पर प्रतियोगिता का दबाव, तनाव और चिंता बढ़ रही है. ऐसे माहौल में कई बार बच्चे अपनी समस्याएं घर या स्कूल में खुलकर नहीं बता पाते. सीबीएसई का यह नया कदम छात्रों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है.
मॉडल की शुरुआत और मुख्य उद्देश्य
यह मॉडल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सोच से प्रेरित है. शिक्षा सिर्फ किताबों और अंकों तक सीमित न रहकर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और जीवन कौशल को भी मजबूत करे, इसी विचार पर यह पहल बनाई गई है. बोर्ड का कहना है कि अब स्कूलों के बीच सहयोगी नेटवर्क बनेगा, जिससे हर स्तर पर छात्रों को समय पर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सहयोग मिलेगा. इस कदम से न केवल छात्रों तक काउंसलिंग सेवाओं की पहुंच आसान होगी बल्कि स्कूलों की संस्थागत क्षमता भी बढ़ेगी.
किन-किन संस्थानों को भेजा गया संदेश
सीबीएसई ने इस पहल की जानकारी देशभर के कई बड़े शिक्षा संस्थानों और विभागों को भेजी है. इनमें केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS), नवोदय विद्यालय समिति (NVS), एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, सैनिक स्कूल, ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन, राज्य शिक्षा निदेशालय, आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी (AWES) और केंद्रीय तिब्बती स्कूल प्रशासन शामिल हैं.
कैसे काम करेगा हब और स्पोक मॉडल
इस मॉडल में दो तरह के स्कूल होंगे – हब स्कूल और स्पोक स्कूल.
हब स्कूल – ये मुख्य केंद्र की तरह काम करेंगे. इनके पास अनुभवी काउंसलर और प्रशिक्षित स्वास्थ्य शिक्षक होंगे.
स्पोक स्कूल – ये हब स्कूल से जुड़े रहेंगे और हर महीने तय की गई गतिविधियों को लागू करेंगे.
हब स्कूलों के काउंसलर और स्पोक स्कूलों के काउंसलर मिलकर छात्रों के लिए गतिविधियां चलाएंगे. जैसे – मानसिक स्वास्थ्य पर वर्कशॉप, सहपाठी सीखने की गतिविधियां, ग्रुप काउंसलिंग और ज़रूरत पड़ने पर व्यक्तिगत परामर्श.
प्रिंसिपल और काउंसलर की भूमिका
इस पूरे मॉडल में स्कूल प्रमुख या प्रिंसिपल की भूमिका सबसे अहम होगी. वे सभी गतिविधियों पर नजर रखेंगे और दिशा-निर्देश देंगे. उनके मार्गदर्शन में काउंसलर और स्वास्थ्य शिक्षक बच्चों को सहायता देंगे. काउंसलर न सिर्फ बच्चों की समस्याओं को सुनेंगे बल्कि उन्हें समाधान की ओर भी ले जाएंगे. उदाहरण के लिए – परीक्षा का तनाव कैसे कम करें, सहपाठियों से तालमेल कैसे बैठाएं, या आत्मविश्वास कैसे बढ़ाएं.
रिपोर्टिंग और निगरानी की व्यवस्था
- सीबीएसई ने इस पहल में एक मजबूत रिपोर्टिंग सिस्टम भी जोड़ा है.
- हर स्पोक स्कूल को अपने हब स्कूल को महीनेभर की रिपोर्ट भेजनी होगी.
- हब स्कूल इन सभी रिपोर्टों को इकट्ठा करके हर महीने की 5 तारीख तक सीबीएसई को भेजेगा.
- इसके लिए गूगल फॉर्म का उपयोग होगा, ताकि पूरा प्रोसेस पारदर्शी और आसान हो.
- इस तरह से सीबीएसई को हर महीने यह जानकारी मिलती रहेगी कि काउंसलिंग गतिविधियां कितनी प्रभावी रहीं और किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है.
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