क्या वाकई लहसुन-प्याज राहु-केतु की संतान हैं? जानिए पौराणिक रहस्य और ज्योतिषीय सच!

Garlic Onion Mystery: क्या आपने कभी सोचा है कि आपके खाने की थाली में रखा लहसुन और प्याज सिर्फ स्वाद ही नहीं बढ़ाते, बल्कि उनका सीधा संबंध ज्योतिष के सबसे रहस्यमयी ग्रहों राहु और केतु से माना जाता है?
पौराणिक कथा कहती है कि ये दोनों सब्जियां साधारण नहीं, बल्कि राहु-केतु की रक्त-ऊर्जा से उत्पन्न हुईं. यही कारण है कि इन्हें साधना और पूजा में वर्जित बताया जाता है.
पौराणिक कथा: अमृत की बूंद से जन्मे प्याज-लहसुन
समुद्र मंथन के समय जब देवताओं और दैत्यों को अमृत मिला, तो राहु और केतु ने छल से अमृत पी लिया. भगवान विष्णु ने तुरंत सुदर्शन चक्र से उनका सिर धड़ से अलग कर दिया.
किंवदंती है कि उस समय राहु के रक्त से प्याज और केतु के रक्त से लहसुन उत्पन्न हुए. इसी कारण इन्हें ‘राहु-केतु की संतान’ कहा गया.
इस मिथक ने इन्हें तामसिक आहार की श्रेणी में रखा और धार्मिक अनुष्ठानों में त्यागने की परंपरा शुरू हुई.
ज्योतिषीय विश्लेषण: क्यों जुड़ते हैं राहु-केतु से?
तामसिक प्रवृत्ति- राहु और केतु दोनों ही मनुष्य में मोह, भ्रम और वासनाओं को बढ़ाते हैं. प्याज-लहसुन का सेवन इन्हीं प्रवृत्तियों को तीव्र करता है.
चेतना पर असर- साधना के समय ये मन को अस्थिर बनाते हैं, ध्यान भटकाते हैं और मानसिक विकार बढ़ाते हैं.
रोग और औषधि- राहु-केतु कुंडली में रोगकारक माने जाते हैं. आश्चर्य की बात यह है कि प्याज-लहसुन कई रोगों (विशेषकर रक्त और हृदय विकार) का इलाज भी हैं. यानी राहु-केतु की समस्या का इलाज उनकी ही संतान से संभव है.
साधना और धर्म में क्यों वर्जित?
नवरात्रि, एकादशी, सोमव्रत, गुरुवार व्रत जैसे पावन अवसरों पर प्याज-लहसुन (Garlic Onion) निषेध हैं.
चन्द्रमा, गुरु और शुक्र की पूजा में इनका सेवन मन को चंचल कर देता है.
यही कारण है कि मंदिरों के भोग और प्रसाद में इन्हें स्थान नहीं मिलता.
शास्त्रीय प्रमाण और संदर्भ
1. भगवद्गीता (अध्याय 17, श्लोक 8-10)
भगवद्गीता में भोजन को तीन वर्गों.. सात्विक, राजसिक और तामसिक में बांटा गया है. श्लोक से समझें-
कात्वम्ललवणात्युष्ण तीक्ष्णरूक्षविदाहिनः.
आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः॥ (गीता 17.9)
यहां तीक्ष्ण, अति तीखे, जलन उत्पन्न करने वाले आहार को राजसिक-तामसिक बताया गया है. प्याज-लहसुन इसी श्रेणी में आते हैं.
2. आयुर्वेद – चरक संहिता
लहसुन (Rasona) को औषधि माना गया है, जो रक्त-शुद्धि और हृदय रोग में लाभकारी है. लेकिन साधना और व्रत के समय इसे त्यागना चाहिए क्योंकि यह शरीर की काम-वासना और तृष्णा को बढ़ाता है.
3. पौराणिक कथा – समुद्र मंथन (भागवत पुराण, विष्णु पुराण)
जब राहु ने छल से अमृत पिया, विष्णु ने उसका सिर काट दिया. मान्यता है कि उसके शरीर से गिरी बूंदों से प्याज-लहसुन का उद्भव हुआ. इसीलिए इन्हें राहु-केतु की संतान कहा जाता है.
4. मनुस्मृति का उल्लेख
मनुस्मृति (5.5) में ब्राह्मण और साधक के लिए वर्जित आहार का उल्लेख है, जिसमें लहसुन और प्याज को भी अशुद्ध माना गया.
लशुनं ग्राम्यशोणितं माषमूलकपिण्याकम्.
परमान्नं च यच्चान्यदामिषं प्राणिनः स्मृतम्॥
5. वैष्णव और शैव परंपरा
गौड़ीय वैष्णव परंपरा प्याज-लहसुन को तामसिक कहती है और साधना में इनका त्याग करती है. शिवपुराण और लिंगपुराण में भी साधक को तामसिक आहार से बचने का निर्देश मिलता है.
राहु-केतु दोष और उपाय
अगर आपकी कुंडली (Kundli) में राहु-केतु से जुड़े दोष (कालसर्प योग, राहु महादशा, केतु की अंतरदशा) हों, तो इन उपायों का लाभकारी असर मिलता है.
सात्विक आहार अपनाएं और प्याज-लहसुन का त्याग करें.
राहु के लिए – काले तिल, नीला वस्त्र, सरसों का तेल दान करें.
केतु के लिए – कंबल, कुत्ते को भोजन, तिल और ऊनी वस्त्र दान करें.
‘ॐ रां राहवे नमः’ और ‘ॐ कें केतवे नमः’ मंत्र का जाप करें.
पूर्णिमा (Purnima) और अमावस्या (Amavshya) को विशेष ध्यान व दान करें.
संतुलित दृष्टिकोण
धार्मिक दृष्टि से: प्याज-लहसुन त्यागना शुद्धता और साधना की एकाग्रता के लिए आवश्यक है.
चिकित्सकीय दृष्टि से: ये औषधीय गुणों से भरपूर हैं और शरीर को रोगों से बचाते हैं.
ज्योतिषीय दृष्टि से: इनका उपयोग या त्याग सीधे-सीधे राहु-केतु की ऊर्जा को प्रभावित करता है.
FAQs
Q1. क्या सच में लहसुन-प्याज राहु-केतु से जुड़े हैं?
हां, पौराणिक कथा में इन्हें उनके रक्त से उत्पन्न बताया गया है.
Q2. साधना में इनका त्याग क्यों ज़रूरी है?
क्योंकि ये मन को चंचल बनाते हैं और ध्यान भटकाते हैं.
Q3. क्या इन्हें हमेशा छोड़ना चाहिए?
धार्मिक साधना में त्याग आवश्यक है, लेकिन आयुर्वेद इन्हें औषधि मानता है.
Q4. राहु-केतु दोष होने पर क्या करें?
मंत्र जाप, दान, व्रत और सात्विक आहार अपनाना लाभकारी है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
—-समाप्त—-
Discover more from News Hub
Subscribe to get the latest posts sent to your email.