रुद्राक्ष उत्पत्ति से लेकर धारण करने के नियम तक, जानें शिव का प्रतीक कैसे बदल सकता है आपका भाग्य?

Origin of Rudraksha: हिंदू धर्म में रुद्राक्ष काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. रुद्राक्ष एक पवित्र बीज होता है, जो Elaeocarpus ganitrus नाम के पेड़ से मिलता है. रुद्राक्ष का पेड़ मुख्य तौर पर भारत, नेपाल, इंडोनेशिया और हिमालयी इलाकों में पाया जाता है.
रुद्राक्ष को शिव का प्रतीक भी माना जाता है. आज हम जानेंगे रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई? ये कितने प्रकार के होते हैं, रुद्राक्ष धारण करने के नियम और महत्व क्या हैं?
श्रावण मास में रुद्राक्ष धारण करना बेहद शुभ माना जाता है. इस धारण करने से मन एकाग्र रहता है. इसके साथ ही रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति को यज्ञ, तप, तीर्थ आदि फलों की प्राप्ति होती है.
रुद्राक्ष की उत्पत्ति
शिवपुराण कथा के मुताबिक रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा में भगवान शिव माता पार्वती को बताते हैं कि कुछ समय पहले मैंने आंखे बंद करके लंबी तपस्या की थी. तप करते समय जब मेरा मन विचलित हो उठा तो मैंने अपनी आंखें खोल ली.
लंबे समय के बाद आंख खोलने के कारण आंसुओं की कुछ बूंदें धरती पर जहां गिरी, वहां कुछ वृक्ष उग आए. रुद्र की आंखों से निकलने वाले आंसु को ही रुद्राक्ष कहा जाता है.
रुद्राक्ष के प्रकार
रुद्राक्ष पर सीधी-सीधी धारियां बनी होती है, इन धारियों से लोग रुद्राक्ष के प्रकारों का पता लगा पाते हैं. आमतौर पर पंचमुखी रुद्राक्ष का धारण काफी लोग करते हैं. रुद्राक्ष को धारण करने से मानसिक तनाव दूर होता है. इसके साथ ही एकाग्रता में भी वृद्धि होती है.
- 1 मुखी रुद्राक्ष अत्यंत दुर्लभ, शिवस्वरूप का माना जाता है.
- 5 मुखी सबसे सामान्य और लोकप्रिय, हर कोई पहन सकता है.
- 7 मुखी रुद्राक्ष धन और करियर से जुड़ा होता है.
- 9 मुखी रुद्राक्ष मां दुर्गा का प्रतीक, शक्ति और साहस के लिए होता है.
- 14 मुखी रुद्राक्ष अत्यंत प्रभावशाली, मनोबल और निर्णयशक्ति के लिए होता है.
रुद्राक्ष का आकार
रुद्राक्ष के आकार की बात करें तो ये तीन तरह के होते हैं. ऐसे रुद्राक्ष जो आंवले के आकार के हो, उन्हें सबसे उत्तम माना जाता है. जो रुद्राक्ष बेर के आकार की तरह सामान हो, वे माध्यम फल देने वाला माना जाता है. वही चने के बराबर आकार वाला रुद्राक्ष निम्न श्रेणी में गिना जाता है.
रुद्राक्ष पहनने के लाभ
- मानसिक शांति और एकाग्रता में वृद्धि
- हृदय और रक्तचाप की समस्याओं में राहत
- नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा
- ध्यान और साधना में सहायता
- कर्म और भाग्य सुधार में सहायक (ज्योतिषीय दृष्टिकोण से)
रुद्राक्ष को लेकर धार्मिक नियम
- इसे शुद्धता से धारण करें
- पंचामृत या गंगाजल से शुद्ध कर पहनें
- मंत्र जाप के साथ धारण करना उत्तम होता है
- सोते समय, शौच करते समय इसे उतारना चाहिए (यदि माला है तो)
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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