Hidden Truth: शादी रात में करनी चाहिए या दिन में, सच जानकर आप चौंक जाएंगे!


Shocking Facts: हम सबने बचपन से यही सुना है कि राम और सीता का विवाह दिन में हुआ था और शिव-पार्वती का विवाह भी दिन के समय सम्पन्न हुआ. पर आज जब भी आप किसी विवाह समारोह में जाते हैं, तो पाते हैं कि अधिकतर सात फेरे रात को ही लिए जाते हैं.

तो आखिर यह बदलाव क्यों आया? क्या रात में विवाह करना सही है या शास्त्र इसे गलत मानते हैं? यह प्रश्न हर किसी के मन में आता है, लेकिन इसके पीछे का सच शायद ही किसी को पता हो.

राम और शिव के विवाह का रहस्य

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, मिथिला में राम और सीता का विवाह मध्यान्ह काल में सम्पन्न हुआ था.

ततो वैवाहिकं कृत्यम् जनकेन महात्मना.
रामादिभिः कृतं सर्वं ब्राह्मणैः वेदपारगैः॥
(बालकाण्ड, सर्ग 73)

यह श्लोक यह प्रमाणित करता है कि प्राचीन काल में विवाह यज्ञोपम संस्कार के रूप में दिन में सम्पन्न होते थे. शिव–पार्वती विवाह का वर्णन भी शिव पुराण में दिन के समय ही मिलता है.

कारण यह था कि उस युग में यज्ञ और देवताओं का आह्वान मुख्य रूप से दिन में किया जाता था. अग्नि साक्ष्य और सूर्य की उपस्थिति को श्रेष्ठ माना जाता था. इसलिए विवाह को भी दिन के समय सम्पन्न करना ही उचित समझा गया.

शास्त्र क्या कहते हैं?

अब बड़ा प्रश्न है…क्या शास्त्र रात में विवाह को वर्जित मानते हैं? इसका उत्तर है नहीं. आश्वलायन गृह्यसूत्र कहता है कि विवाह दिन या रात दोनों में हो सकता है, बशर्ते ग्रह और नक्षत्र अनुकूल हों.

मनुस्मृति में कहा गया है कि विवाह केवल शुभ मुहूर्त और चंद्रमा की अनुकूल स्थिति में किया जाना चाहिए. समय (दिन या रात) का कोई निषेध नहीं.

नारद पुराण तो और भी स्पष्ट रूप से कहता है कि यदि रात की शुभ तिथि पर विवाह हो तो दंपत्ति को सुख और दीर्घायु प्राप्त होती है. यानि शास्त्रों में रात को विवाह करने की पूरी अनुमति है.

ज्योतिष का अनोखा दृष्टिकोण

आपको जानकर हैरानी होगी कि रात्रि विवाह का चलन केवल सुविधा से नहीं, बल्कि ज्योतिष से भी जुड़ा है. विवाह के लिए वृषभ, मिथुन, सिंह, तुला, धनु और मीन लग्न श्रेष्ठ माने जाते हैं. इनका प्रायः रात्रि में मिलना आसान होता है.

विवाह का कारक ग्रह चंद्रमा है और दांपत्य सुख का कारक शुक्र है. चंद्रमा का प्रभाव स्वाभाविक रूप से रात को अधिक होता है. दिन में राहुकाल, यमगंड और गुलिक काल जैसे दोष बार-बार बाधा डालते हैं. जबकि रात्रि में इनसे बचना सरल होता है. इसलिए पंडित और आचार्य कई बार विशेष रूप से रात्रिकालीन विवाह मुहूर्त सुझाते हैं.

रात में शादी का मनोविज्ञान

भारत कृषि प्रधान रहा है. दिन का समय खेती और श्रम में जाता था, लोग दिन में अवकाश लेकर विवाह में सम्मिलित नहीं हो पाते थे. इसलिए धीरे-धीरे रात का समय विवाह के लिए अधिक सुविधाजनक माना जाने लगा.

रात का ठंडा वातावरण बारात और मेहमानों के लिए आरामदायक रहा. साथ ही दीपक और बाद में बिजली की रोशनी ने विवाह को और भी आकर्षक और उत्सवमय बना दिया.

यानि विवाह अब केवल संस्कार न होकर सामाजिक उत्सव भी बन गया. आधुनिक और व्यवसायिक दृष्टिकोण की मानें तो आज के दौर में रात्रिकालीन विवाह ने एक विशाल उद्योग को जन्म दिया है.

होटल, मैरिज हॉल, कैटरिंग, लाइटिंग, सजावट और इवेंट मैनेजमेंट ये सब रात के विवाह से ही फल-फूल रहे हैं. शहरी जीवन में दिन का समय नौकरी और कारोबार में जाता है. रात का विवाह इसीलिए अधिक सुविधाजनक हो गया.

फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी रात की रोशनी में अधिक प्रभावशाली होती है. इस तरह से रात का विवाह अब परंपरा नहीं, बल्कि आवश्यकता और व्यवसाय दोनों बन गया है.

दिन और रात का रहस्य, शास्त्रसम्मत समझें

अगर गहराई से देखें तो दिन और रात दोनों का विवाह शास्त्रसम्मत है. फर्क केवल परिस्थितियों का है. दिन के विवाह में यज्ञ, अग्नि साक्ष्य और देवताओं का आह्वान केंद्र में था. वहीं रात का विवाह नक्षत्रों की अनुकूलता, समाज की सुविधा और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक बन गया.

यानी दोनों ही सही हैं, लेकिन समय के अनुसार उनकी भूमिका बदल गई है. शास्त्र कभी भी रात के विवाह को अशुभ नहीं मानते. राम और शिव का विवाह दिन में हुआ था, क्योंकि उस समय यज्ञीय परंपरा और अग्नि साक्ष्य को महत्व था.

आज रात का विवाह इसलिए प्रचलित है क्योंकि शुभ लग्न, नक्षत्र और सामाजिक सुविधा रात में अधिक मिलती है. पुराणों ने स्वयं रात्रिकालीन विवाह को सुख और दीर्घायु का कारण बताया है. इस तरह, रात का विवाह पूरी तरह से शास्त्रसम्मत और सही है. गलत केवल तब है जब विवाह दोषयुक्त मुहूर्त में हो.

FAQs

Q1. क्या रात का विवाह अशुभ है?
नहीं. शास्त्र और ज्योतिष दोनों इसे मान्यता देते हैं.

Q2. दिन का विवाह क्या आज भी होता है?
हां. दक्षिण भारत और कुछ परंपराओं में दिन में विवाह करना आज भी परंपरा है.

Q3. रात्रिकालीन विवाह कब से शुरू हुआ?
मुख्यतः मध्यकाल से, जब कृषि और सामाजिक कारणों से रात का समय सुविधाजनक हो गया.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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