E27 fuel impact on cars – क्या आपकी गाड़ी E27 फ्यूल के लिए तैयार है? जानें इथेनॉल का असर


नई दिल्ली. पेट्रोल में इथेनॉल की मिलावट से गाड़ियों के इंजन पर असर पड़ने की चिंता बढ़ती जा रही है. अभी तक जहां पेट्रोल में 10% या 20% तक इथेनॉल मिलाया जा रहा था, वहीं अब सरकार 27% इथेनॉल मिश्रण वाला E27 फ्यूल लाने की तैयारी कर रही है. लेकिन सवाल यह है कि क्या आपकी गाड़ी इसके लिए तैयार है?

सरकार पेट्रोल में इथेनॉल मिलाकर ईंधन आयात पर निर्भरता कम करना चाहती है. साथ ही यह कदम प्रदूषण घटाने की दिशा में भी अहम माना जा रहा है.

अभी देशभर के पेट्रोल पंपों पर E20 फ्यूल (यानी 20% इथेनॉल मिलाया गया पेट्रोल) उपलब्ध है. लेकिन अब केंद्र सरकार ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) को E27 फ्यूल के लिए मानक तय करने का निर्देश दिया है. यानी जल्द ही बाजार में 27 फीसदी इथेनॉल मिलाया गया पेट्रोल भी उपलब्ध हो सकता है.

इथेनॉल में समस्या कहां है?

वर्तमान में जो गाड़ियां बाजार में बिक रही हैं, वे अधिकतर E20 फ्यूल के अनुसार डिज़ाइन की गई हैं.

ऑटो एक्सपर्ट टूटू धवन के मुताबिक, भारत में अभी भी लाखों ऐसी गाड़ियां हैं जो E10 या E20 तक ही सीमित हैं. E27 जैसे हाई इथेनॉल फ्यूल पर चलने पर इनमें इंजन से जुड़ी तकनीकी दिक्कतें आने लगती हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि पुराने BS3 और BS4 मानक वाले वाहन E20 फ्यूल पर भी ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं. कई मामलों में इंजन कंपोनेंट्स खराब हो रहे हैं, जिससे मरम्मत का खर्च बढ़ रहा है और कई बार वारंटी भी अमान्य हो जाती है.

इथेनॉल से इंजन को कैसे नुकसान होता है?

इथेनॉल एक कोरोसिव (जंग लगाने वाला) पदार्थ है. यह फ्यूल टैंक, फ्यूल लाइन, गियर शिफ्टिंग और अन्य पार्ट्स को धीरे-धीरे खराब कर सकता है. अगर गाड़ी लंबे समय तक खड़ी रहती है, तो इथेनॉल नमी (मॉइश्चर) खींच लेता है, जिससे इंजन में रस्ट लगने का डर रहता है और खराबी आ सकती है.

यदि आपकी गाड़ी जरा पुरानी है और किसी भी इथेनॉल मिश्रित ईंधन को सपोर्ट नहीं करती तो आपको साधारण पेट्रोल डलवाना चाहिए.

बड़ी कंपनियों की गाड़ियों पर भी असर

टूटू धवन के अनुसार, मर्सिडीज़, BMW और अन्य लग्ज़री गाड़ियां इस तरह के इथेनॉल मिश्रित फ्यूल के लिए नहीं बनाई गई हैं. इन गाड़ियों में E27 जैसे फ्यूल के इस्तेमाल से इंजन पूरी तरह फेल हो सकता है.

आम लोगों की राय भी यही है, वे कहते हैं “सरकार हमसे पेट्रोल के दाम तो पूरे वसूल रही है, लेकिन उसमें मिलावट (इथेनॉल) बढ़ती जा रही है. इससे गाड़ियों की माइलेज कम हो रही है और इंजन भी जल्दी खराब हो रहा है.”

लोगों की मांग है कि सरकार को E27 जैसे फ्यूल लाने से पहले गाड़ियों को टेक्नोलॉजिकली तैयार करना, सुरक्षा परीक्षण और उपभोक्ता जागरूकता पर काम करना चाहिए. सरकार का उद्देश्य भले ही अच्छा हो, जैसे तेल आयात घटाना और पर्यावरण को साफ़ रखना, लेकिन अगर तकनीकी तैयारी पूरी नहीं है तो इसका खामियाजा सीधे आम ग्राहकों को भुगतना पड़ेगा.

E27 फ्यूल के आने से पहले जरूरी है कि सरकार वाहन निर्माताओं और उपभोक्ताओं को इसके लिए समय, जानकारी और विकल्प दे, ताकि गाड़ियां न केवल इस फ्यूल से चल सकें, बल्कि लंबे समय तक सुरक्षित और टिकाऊ भी रहें.



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