भारतीय पासपोर्ट: क्या यह वैश्विक ताकत की ओर बढ़ रहा है?

परिचय

हाल ही में हेनली पासपोर्ट इंडेक्स (HPI) में भारतीय पासपोर्ट ने दशकों में अपनी सबसे बड़ी छलांग लगाई है, जो 85वें स्थान से 77वें स्थान पर पहुंच गया है। यह केवल एक प्रतीकात्मक बदलाव नहीं है, बल्कि यह भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव और लाखों भारतीय यात्रियों, व्यवसायियों, और छात्रों के लिए वास्तविक बदलाव का संकेत है। लेकिन इस छलांग का वास्तव में क्या मतलब है? क्या भारत वाकई में वैश्विक दिग्गजों जैसे चीन और यूनाइटेड किंगडम के साथ अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है? आइए, इस विषय को गहराई से समझते हैं और भारतीय पासपोर्ट की ताकत, इसकी सीमाओं, और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण करते हैं।

📈 हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में ऐतिहासिक उछाल

2 जुलाई, 2025 को जारी हेनली पासपोर्ट इंडेक्स के अनुसार, भारतीय पासपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर छह महीने में सबसे बड़ी प्रगति हासिल की है। यह 8 रैंकों की छलांग स्वतंत्रता के बाद पहली बार देखी गई है। आश्चर्यजनक रूप से, यह सुधार दर्जनों नए देशों तक वीजा-मुक्त पहुंच के कारण नहीं हुआ। इसके पीछे केवल दो देशों—फिलीपींस और श्रीलंका—में वीजा-मुक्त या वीजा-ऑन-अराइवल सुविधा का योगदान रहा।

प्रश्न उठता है: इतनी बड़ी छलांग का कारण क्या है?

इसका जवाब सापेक्ष लाभ (relative gain) में छिपा है। हालांकि भारत की रैंकिंग में मामूली सुधार हुआ, लेकिन कई पश्चिमी देशों ने अपनी आप्रवासन नीतियों को सख्त कर लिया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी रैंकिंग में गिरावट आई। उदाहरण के लिए:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): 2014 में पहले स्थान पर था, लेकिन 2025 में 10वें स्थान पर खिसक गया।
  • यूनाइटेड किंगडम (UK): छठे स्थान पर आ गया।

यह बदलाव एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है, भले ही यह प्रगति धीमी हो। भारतीय पासपोर्ट की यह प्रगति न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के वैश्विक कद और कूटनीतिक प्रभाव में वृद्धि का प्रतीक भी है।

🌍 भारतीय पासपोर्ट बनाम वैश्विक शक्तियां

विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, भारतीय पासपोर्ट की गतिशीलता (mobility) वैश्विक शक्तियों की तुलना में अभी भी कमजोर है। आइए, इसे आंकड़ों के आधार पर समझते हैं:

देशरैंक (HPI)वीजा-मुक्त देशवैश्विक जीडीपी पहुंच (%)
संयुक्त राज्य अमेरिका10वां18268%
चीन60वां8526%
भारत77वां596.7%

भारतीय पासपोर्ट धारक केवल उन देशों में वीजा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के 6.7% हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें भारत स्वयं 3.68% का योगदान देता है। यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि भारत की आर्थिक शक्ति के बावजूद, उसका पासपोर्ट वैश्विक गतिशीलता के मामले में अभी भी पीछे है।

इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे कि भारत की प्रति व्यक्ति आय, राष्ट्रीय सुरक्षा छवि, और पारस्परिकता (reciprocity) की कमी। इन बिंदुओं को हम आगे विस्तार से समझेंगे।

💰 कमजोर पासपोर्ट की छिपी लागत

भारतीय पासपोर्ट की कमजोरी का प्रभाव केवल रैंकिंग तक सीमित नहीं है। यह भारतीय यात्रियों के लिए आर्थिक और व्यावहारिक चुनौतियां भी लाता है।

1. वीजा आवेदन पर भारी खर्च

भारतीय नागरिक हर साल वीजा आवेदनों पर सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करते हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में 12 लाख से अधिक भारतीय संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की यात्रा पर गए, जहां वीजा-मुक्त पहुंच उपलब्ध नहीं है। प्रति व्यक्ति ₹6,000–₹7,000 की वीजा फीस के साथ, कुल खर्च ₹720 करोड़ से अधिक था—यह राशि चंद्रयान-3 मिशन के बजट से भी ज्यादा है।

2. असुविधा और देरी

वीजा प्रक्रिया में देरी भारतीय यात्रियों के लिए एक बड़ी परेशानी है। विशेष रूप से छुट्टियों के मौसम में:

  • 20,000+ आवेदन: प्रतिदिन वीजा आवेदन जमा किए जाते हैं।
  • कनाडा के लिए वीजा: प्रक्रिया में 6 महीने तक लग सकते हैं।
  • अमेरिका के लिए वीजा: अपॉइंटमेंट के लिए 1 साल पहले बुकिंग की आवश्यकता होती है।

ये देरी न केवल समय की बर्बादी करती हैं, बल्कि यात्रा योजनाओं को भी प्रभावित करती हैं, जिससे व्यवसाय, शिक्षा, और पर्यटन पर असर पड़ता है।

🧠 भारत क्यों पीछे है?

भारतीय पासपोर्ट की ताकत को प्रभावित करने वाले तीन प्रमुख कारक हैं:

1. प्रति व्यक्ति आय

भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन इसकी प्रति व्यक्ति आय अभी भी कम है। यह वैश्विक स्तर पर पासपोर्ट की विश्वसनीयता को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, दक्षिण कोरिया और फिनलैंड जैसे देश, जिनकी अर्थव्यवस्थाएं भारत से छोटी हैं, लेकिन प्रति व्यक्ति आय अधिक है, बेहतर पासपोर्ट रैंकिंग का आनंद लेते हैं।

2. स्थिरता और सुरक्षा

भारत अभी भी फ्रैजाइल स्टेट्स इंडेक्स (Fragile States Index) में निम्न रैंकिंग पर है, यहां तक कि संघर्षग्रस्त देशों जैसे यूक्रेन से भी पीछे है (2022 के अनुसार)। इसके अलावा, कुछ भारतीय यात्रियों द्वारा वीजा का दुरुपयोग, जैसे सर्बिया के रास्ते यूरोपीय संघ में अवैध रूप से प्रवेश करने की कोशिश, ने वीजा-मुक्त सुविधाओं को रद्द करने की स्थिति पैदा की।

3. पारस्परिकता (Reciprocity)

वीजा-मुक्त समझौते अक्सर पारस्परिक लाभ पर निर्भर करते हैं। भारत केवल चार देशों को वीजा-मुक्त पहुंच प्रदान करता है, जिसके कारण अन्य देश भारत को समान सुविधा देने में हिचकते हैं।

🌐 अन्य देशों से सबक: यूएई और इंडोनेशिया

कुछ देशों ने रणनीतिक कदम उठाकर अपनी पासपोर्ट रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार किया है। इनसे भारत प्रेरणा ले सकता है।

यूएई

संयुक्त अरब अमीरात ने 56वें स्थान से 12वें स्थान तक की छलांग लगाई। इसकी रणनीति में शामिल थे:

  • 100 से अधिक देशों को वीजा-मुक्त पहुंच प्रदान करना।
  • सुरक्षा और कूटनीति पर ध्यान देना।

इंडोनेशिया

इंडोनेशिया ने 2016 में 169 देशों को वीजा-मुक्त प्रवेश की अनुमति दी, जिसके परिणामस्वरूप:

  • पर्यटन में $57.6 बिलियन की वृद्धि।
  • 2027 तक 9.1 मिलियन नए रोजगार के अवसर।

ये उदाहरण दर्शाते हैं कि रणनीतिक कूटनीति और उदार नीतियां पासपोर्ट की ताकत को बढ़ा सकती हैं।

✅ भारत के लिए अगले कदम

भारत को अपनी पासपोर्ट रैंकिंग और वैश्विक गतिशीलता को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

1. सक्रिय आर्थिक कूटनीति

भारत को मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) जैसे भारत-यूके FTA का लाभ उठाना चाहिए। इससे इंजीनियरों, शेफों, और योग प्रशिक्षकों जैसे पेशेवरों की आवाजाही आसान होगी, जिससे पारस्परिक आर्थिक विश्वास बढ़ेगा।

2. कौशल-आधारित प्रतिभा में निवेश

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), स्वास्थ्य सेवा, और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी कार्यबल विकसित करके, भारत एक प्रतिभा केंद्र बन सकता है। इससे भारतीय नागरिकों की गतिशीलता की मांग बढ़ेगी।

3. राष्ट्रीय सुरक्षा छवि को मजबूत करना

भारत ने RFID चिप्स के साथ ई-पासपोर्ट लागू करना शुरू कर दिया है, जो तेज और सुरक्षित आप्रवासन प्रक्रिया को सक्षम बनाता है। यह वैश्विक विश्वास हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

4. अवैध प्रवास को रोकना

“डंकी फ्लाइट्स” और अवैध सीमा पार करने जैसी गतिविधियों पर रोक लगाने से अन्य देशों को यह आश्वासन मिलेगा कि भारत नैतिक प्रवास को बढ़ावा देता है।

5. पारस्परिक सम्मान को बढ़ावा देना

विदेशी पर्यटकों के साथ अच्छा व्यवहार, स्वच्छ आप्रवासन रिकॉर्ड बनाए रखना, और सांस्कृतिक कूटनीति लंबे समय तक भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगी।

🇮🇳 निष्कर्ष: क्या भारत पासपोर्ट शक्ति बन सकता है?

भारतीय पासपोर्ट की हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में हालिया छलांग उत्साहजनक है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। पासपोर्ट की ताकत केवल वीजा-मुक्त पहुंच तक सीमित नहीं है—यह राष्ट्रीय विश्वास, आर्थिक विश्वसनीयता, और कूटनीतिक प्रभाव का एक पैमाना है। यदि भारत नैतिक प्रवास, कुशल प्रतिभा विकास, और स्मार्ट कूटनीति को बढ़ावा देता रहे, तो भारतीय पासपोर्ट के शीर्ष 50 में शामिल होने की कोई वजह नहीं है।

लेकिन यह बदलाव केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। प्रत्येक भारतीय नागरिक की भी भूमिका है। जब हम वैश्विक कानूनों का पालन करते हैं और भारत का सम्मान के साथ प्रतिनिधित्व करते हैं, तो हम वैश्विक स्वीकृति की राह प्रशस्त करते हैं।

जय हिंद!

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