Difference Between Mrityunjay And Maha Mrityunjay Mantra: क्या आप जानते हैं मृत्युंजय और महामृत्युंजय मंत्र के बीच का अंतर, अगर नहीं तो आज जान लें


क्या आप जानते हैं मृत्युंजय और महामृत्युंजय मंत्र के बीच का अंतर
Difference Between Mrityunjay And Maha Mrityunjay Mantra: सनातन धर्म में मृत्युंजय मंत्र का विशेष महत्व माना जाता है। अक्सर श्रद्धालु पूजा-पाठ के समय इस मंत्र का उच्चारण जरूर करते हैं और सावन के दौरान तो इस मंत्र का जाप और भी ज्यादा बढ़ जाता है। कहते हैं जो कोई सच्चे मन से इस मंत्र का जाप करता है उस पर भगवान शिव का सदैव आशीर्वाद बना रहता है। इस मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता। अमूमन लोग ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्’। मंत्र को ही महा मृत्युंजय मंत्र मान लेते हैं। लेकिन ये महा मृत्युंजय मंत्र नहीं है बल्कि सिर्फ मृत्युंजय मंत्र है। चलिए आपको विस्तार से बताते हैं इस मंत्र के बारे में।
किसने की महा मृत्युंजय मंत्र की रचना
इस दिव्य, चमत्कारी और प्रसिद्ध मंत्र की रचना मार्कंडेय ऋषि ने की थी। शास्त्रों में बताया गया है कि इस मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु नहीं आती। साथ ही भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
क्या है मृत्युंजय मंत्र?
‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्’।
क्या है महा मृत्युंजय मंत्र?
‘ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ। ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।’
मृत्युंजय और महा मृत्युंजय मंत्र में अंतर? (What Is The Difference Between Mrityunjay And Maha Mrityunjay Mantra?)
- मृत्युंजय मंत्र का जाप आप रोजाना सुबह या शाम किसी भी समय कर सकते हैं। इसके जाप के नियम बहुत ही सरल होते हैं। वहीं महा मृत्युंजय मंत्र का जाप हवन-अनुष्ठान के दौरान पूर्ण विधि के अनुसार किया जाता है।
- मृत्युंजय मंत्र से पहले और बाद में बीज मंत्र का उच्चारण नहीं किया जाता है जबकि महा मृत्युंजय मंत्र में आरंभ और समापन के समय बीज मंत्र जरूर पढ़ा जाता है।
- जहां मृत्युंजय मंत्र को सिद्ध करने के लिए 6 महीने तक 108 बार लगातार जपना पढ़ता है। वहीं, महा मृत्युंजय मंत्र को 1 वर्ष में 1 हजार लाख बार जप करके सिद्ध किया जाता है।
मृत्युंजय मंत्र जाप विधि
इस मंत्र का जाप स्नान करके और साफ वस्त्र धारण करके करें। जो भी कामना है उसे भगवान शिव के समक्ष मन में दोहराएं जिसके लिए आप मृत्युंजय मंत्र का जाप करने जा रहे हैं। फिर शिवलिंग के समक्ष इस बात का संकल्प लें कि आप कितनी बार इस मंत्र का जाप करेंगे। मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि मृत्युंजय मंत्र का जाप दोपहर 12 बजे से पहले करें. 12 बजे के बाद इस मंत्र का फल प्राप्त नहीं होता।
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