चीन ने चल दी अपनी चाल, रुक जाएंगे भारत की गाड़ियों के पहिए? इंडिया ने यूं कर ली जवाब देने की तैयारी


नई दिल्ली. बेंगलुरु स्थित जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) के एक रिसर्च ग्रुप ने एक सुपर-फास्ट चार्जिंग सोडियम-आयन (Na-ion) बैटरी का दावा किया है, जो केवल छह मिनट में 80 प्रतिशत तक चार्ज हो सकती है और 3,000 से ज्यादा चार्ज साइकिल तक चल सकती है. इस हिसाब से यह लगभग लिथियम-आयन बैटरियों की बराबरी कर सकती है. भारत के लिए यह बहुत जरूरी भी है कि वो लीथियम आयन बैटरी का कोई दूसरा विकल्प तैयार करें,क्योंकि,चीन ने बैटरी निर्माण में सबसे जरूरी एलिमेंट लिथियम पर लगभग एकाधिकार कर रखा है. बीजिंग ग्लोबल लिथियम-आयन बैटरी सप्लाई चेन और स्टोरेज को कंट्रोल करता है, और अब CATL और BYD जैसे दो सबसे बड़े लिथियम-आयन बैटरी निर्माताओं का मालिक है.

फास्ट चार्ज और लंबी लाइफ
JNCASR टीम द्वारा विकसित नई बैटरी ‘NASICON-‘ रसायन पर आधारित है, जो इलेक्ट्रोकेमिकल पॉलीएनियोनिक सामग्री की एक श्रेणी है. पुरानी सोडियम-आयन बैटरियों के विपरीत, जो स्लो चार्ज होती हैं और इनकी लाइफ भी कम होती हैं, इस नई बैटरी में रसायन और नैनो टेक्नॉलजी का स्मार्ट मिक्सचर का इस्तेमाल किया गया है, जिससे चार्जिंग टाइम कम हो गया है और चार्ज साइकिल बढ़ गई हैं.

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चीन का बढ़ता दबदबा
हालांकि लिथियम रिचार्जेबल बैटरी निर्माण में अधिक सामान्य तत्व है, इस क्षेत्र में चीन का दबदबा दुनिया भर की ऑटो इंडस्ट्री के लिए चिंता की बात है, खासकर बीजिंग की विशेष तकनीकों पर अपने प्रभुत्व को हथियार बनाने की इच्छा को देखते हुए. इसके लिथियम-आयन प्रभुत्व के बावजूद, चीनी कंपनियां भी सोडियम आयन रसायन में अपनी भूमिका बढ़ा रही हैं. CATL, दुनिया का सबसे बड़ा बैटरी निर्माता जो टेस्ला और जीएम को लिथियम-आयन बैटरियां सप्लाई करता है, ने कहा है कि वह 2025 के अंत तक अपने पेटेंटेड ‘Naxtra’ सोडियम-आयन बैटरी पैक का बड़े पैमाने पर उत्पादन करेगा, जो एक इलेक्ट्रिक वाहन को एक बार चार्ज करने पर 500 किमी तक यात्रा करने में सक्षम बनाएगा.

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सोडियम रसायन के फायदे और नुकसान
चूंकि लिथियम-आयन बैटरियां दुर्लभ और महंगे तत्वों जैसे कोबाल्ट, निकेल, तांबा और लिथियम से बनी होती हैं, इसलिए दुनिया भर की तकनीकी कंपनियां विकल्पों की तलाश कर रही हैं. सोडियम कई फायदे प्रदान करता है: यह लिथियम की तुलना में कहीं अधिक प्रचुर मात्रा में है और इसे समुद्री जल से अपेक्षाकृत कम लागत पर निकाला जा सकता है, जबकि लिथियम की उपलब्धता कुछ देशों में केंद्रित है और खनन में अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली के लिथियम त्रिकोण के अलावा अन्य क्षेत्रों में कठोर-चट्टान उत्खनन शामिल है; और सोडियम अधिक पर्यावरण के अनुकूल है और इसे शून्य वोल्ट पर परिवहन किया जा सकता है, जिससे यह सुरक्षित हो जाता है.

सोडियम रसायन की समस्याएं
लेकिन सोडियम रसायन के भी अपने समस्याएं हैं. चूंकि यह बैटरी तकनीक अभी भी अपने प्रारंभिक चरण में है, और इस खंड में बहुत कम कंपनियां काम कर रही हैं, जिससे लागत अधिक होती है. सोडियम-आयन आधारित बैटरियों में लचीलापन सीमित होता है क्योंकि इन्हें प्रिज्मेटिक, सिलिंड्रिकल जैसे विभिन्न आकारों में नहीं बदला जा सकता है, और इनमें लिथियम आधारित बैटरियों की तुलना में कम ऊर्जा घनत्व और कम भंडारण क्षमता होती है. सोडियम-आयन बैटरियों का चक्र जीवन भी आमतौर पर कमर्शियल लिथियम आयरन फॉस्फेट बैटरियों के चक्र जीवन की तुलना में बहुत कम होता है, जो 8,000 बार से अधिक हो सकता है.



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