Bhadrapada 2025: कब से शुरू होगा भादो का महीना, ज्योतिषाचार्य से जानिए तिथि, महत्व और क्या करें-क्या न करें!


Bhadrapada 2025: हिन्दी पंचांग का भाद्रपद महीना 10 अगस्त से शुरू होगा. 9 अगस्त को रक्षा बंधन है और यही सावन के महीने का आखिरी दिन भी है. भाद्रपद महीना 7 सितंबर को समाप्त होगा. इसी दिन भाद्रपद पूर्णिमा है और इस दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाएगी.

पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू कैलेंडर का छठा महीना भाद्रपद है. इसे आम बोलचाल की भाषा में भादो कहते है. भाद्रपद माह में भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु, भगवान गणेश, भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अवश्य करनी चाहिए.

ज्योतिषाचार्य से जानिए भाद्रपद महीने की विशेषताएं
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी मनाते हैं, उस दिन भगवान विष्णु ने कृष्णावतार लिया था, वहीं भाद्रपद शुक्ल तृतीया को अखंड सौभाग्य की हरतालिका तीज मनाते हैं, उस दिन माता पार्वती और शिव जी की पूजा करते हैं.

गणपति बप्पा के लिए 10 दिनों का उत्सव गणेश चतुर्थी भी भाद्रपद माह में ही होता है. इसके अलावा राधा अष्टमी, हल षष्ठी, ऋषि पंचमी जैसे व्रत और पर्व भी इस माह में पड़ते हैं. भाद्रपद पूर्णिमा को पितृ पक्ष का प्रारंभ होता है, उस दिन पितरों के लिए पूर्णिमा का श्राद्ध किया जाता है.

भाद्रपद तीज-त्योहारों का महीना
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस महीने में धर्म-कर्म के साथ ही सेहत पर भी खास ध्यान देना चाहिए. क्योंकि इस हिंदी महीने में ऋतु परिवर्तन भी होता है.

भाद्रपद महीने में कजरी तीज, बहुला चौथ, हलछठ, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, अजा एकादशी और अमावस्या, वराह जयंती, हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी, ललिता सप्तमी, दूर्वाष्टमी, परिवर्तिनी एकादशी, वामन जयंती, बुध प्रदोष, अनंत चतुर्दशी और भाद्रपद पूर्णिमा रहेगी. इस महीने में ही दस दिनों का गणेश उत्सव रहेगा.

 कब से शुरू हो रहा है भाद्रपद महीना
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष भाद्रपद महीना 10 अगस्त से शुरू होगा. 9 अगस्त को रक्षा बंधन है और यही सावन के महीने का आखिरी दिन भी है. भादो का महीना 7 सितंबर को समाप्त होगा. इसी दिन भाद्रपद पूर्णिमा है और इस दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाएगी.

वैदिक ज्योतिष में भादो में सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश होता है. धार्मिक दृष्टिकोण से इस महीने को महत्वपूर्ण माना जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद अगस्त और सितंबर के महीने में पड़ता है. भाद्रपद मास पूजा-पाठ और व्रत के लिए खास माना जाता है.

धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि भाद्रपद के महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने, गरीबों को दान करने और व्रत रखने से बहुत लाभ होता है. इस पूरे महीने भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
 
भाद्रपद मास में कई बड़े त्योहार
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस महीने को इतना शुभ इसलिए माना जाता है क्योंकि इस महीने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के साथ राधा जन्मोत्सव, कजरी तीज, श्री गणेश चतुर्थी, अनंत चतुर्दशी, कुश की अमावस्या, विश्वकर्मा पूजा जैसे महत्वपूर्ण त्योहार भी पड़ते हैं.

भाद्रपद में घर पर लड्डू गोपाल की स्थापना करने, शंख की स्थापना करने और श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से धन, यश और वैभव की प्राप्ति होती है. साथ ही भाद्रपद में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर संतान गोपाल मंत्र का जाप करने और हरिवंश पुराण का पाठ करने या सुनने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.
 
भगवान गणेश, श्रीकृष्ण और विष्णु जी की पूजा का महीना
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस महीने में गणेश चतुर्थी पर दस दिनों का गणेशोत्सव शुरू होगा. जो कि 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी पर खत्म होगा. इन दिनों में भगवान गणेश की विशेष आराधना करने की परंपरा है.

भाद्रपद में श्रीकृष्ण की पूजा से पाप खत्म होते हैं और परेशानियां दूर होती हैं. इन दिनों शंख में दूध और जल भरकर श्रीकृष्ण का अभिषेक करना चाहिए. फिर भगवान को नैवेद्य लगाएं. भगवान विष्णु की भी पूजाा करनी चाहिए. 

  • इस महीन रोज सुबह जल्दी उठकर उगते हुए सूरज को जल चढ़ाने का विधान ग्रंथों में बताया है.
  • सूर्य को जल चढ़ाने में तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें.

भाद्रपद में मसालेदार खाना खाने से बचें
आयुर्वेद के जानकारों का कहना है कि भाद्रपद, चातुर्मास के चार महीनों में दूसरा है. इस महीने में ऋतु परिवर्तन होता है. जिससे शरीर में बदलाव भी होते हैं और डायजेशन गड़बड़ा जाता है. इस महीने में ज्यादा तला हुआ और मसालेदार खाना खाने से बचना चाहिए.

ऐसे चीजे न खाएं जिनको पचने में ज्यादा समय लगता हो. सेहतमंद चीजों को खाने में शामिल करें. भाद्रपद में जानकार योग, प्राणायाम और कसरत करने की सलाह भी देते हैं.
 
भाद्रपद का महत्व
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्र में भाद्रपद महीने का बहुत महत्व बताया गया है. ये पूजा-पाठ के लिए उत्तम होता है. इस महीने में श्री कृष्ण की भक्ति कटने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.

जो भी साधक इस महीने में श्री कृष्ण की सच्चे मन से भक्ति करता है उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है. इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान या गंगा नदी में स्नान का अत्यधिक महत्व है. इस महीने में दान पुण्य करने से भी साधक को शुभ फल प्राप्त होता है.

भाद्रपद महीने में भगवान कृष्ण को हर रोज तुलसी दल और माखन का भोग लगाएं. ऐसा करना बेहद ही शुभ माना जाता है.
 
भाद्रपद में क्या करना चाहिए?
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्र के अनुसार भाद्रपद महीने में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करनी चाहिए. इस महीने में गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. अगर गंगा स्नान ना कर सकते हो तो इस महीने में किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं.

जिसका बहुत ही ज्यादा फल मिलता है. भाद्रपद महीने में मनुष्य को सात्विक भोजन ही करना चाहिए. भाद्रपद माह शुरू होते भगवान श्री कृष्ण को तुलसी अर्पित करनी चाहिए और साथ ही साधक को खुद भी तुलसी के जल का सेवन करना चाहिए.
 
ना करें ये काम
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि शास्त्रों में बताया गया है कि भाद्रपद के महीने में कुछ काम करने की मनाही होती है. भाद्रपद में कच्ची चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. इस महीने में मनुष्य को भूलकर भी दही और गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए.

सावन महीने की तरह भाद्रपद महीने में भी मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी मनुष्य इस महीने में मांस और मदिरा का सेवन करता है. उसे सभी देवता रुष्ट हो जाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद के महीने में रविवार के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए, ना ही रविवार के दिन इस महीने में नमक का प्रयोग करना चाहिए.
 
भाद्रपद मास में पड़ने वाले व्रत-त्योहार
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि भाद्रपद माह में कई विशेष तीज-त्योहार, व्रत, दिन, शुभ तिथियां आती हैं. विशेष त्योहारों में हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी, जैन पयुर्षण त्योहार और अनंत चतुर्दशी शामिल हैं.

इसी माह अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र और वृषभ लग्न में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए इस महीने का महत्व और भी बढ़ गया है. इसके साथ ही हरतालिका तीज, जैन पयुर्षण पर्व, अजा एकादशी, श्री गणेश चतुर्थी आदि भी इसी महीने मनाया जाएगा.

  • 12 अगस्त- संकष्टी चतुर्थी, बहुला चतुर्थी और कजरी तीज
  • 14 अगस्त- बलराम जयंती
  • 15 अगस्त- कृष्ण जन्माष्टमी (मासिक), शीतला सातम, स्वतंत्रता दिवस और आद्याकाली जयन्ती
  • 16 अगस्त- दही हांडी, कार्तिगाई और कालाष्टमी (मासिक)
  • 17 अगस्त- सिंह संक्रांति, मलयालम नव वर्ष
  • 19 अगस्त- अजा एकादशी
  • 20 अगस्त- प्रदोष व्रत (बुध)
  • 21 अगस्त- शिवरात्रि (मासिक)
  • 22 अगस्त- पिठोरी अमावस्या और दर्श अमावस्या
  • 23 अगस्त- भाद्रपद अमावस्या
  • 25 अगस्त- वराह जयंती
  • 26 अगस्त- हरतालिका तीज और गौरी हब्बा
  • 27 अगस्त- गणेश चतुर्थी और विनायक चतुर्थी
  • 28 अगस्त- स्कन्द षष्ठी और ऋषि पंचमी
  • 30 अगस्त- ललिता सप्तमी
  • 31 अगस्त- राधा अष्टमी, दुर्गाष्टमी (मासिक) और महालक्ष्मी व्रत का आरंभ
  • 01 सितंबर- ज्येष्ठ गौरी पूजा
  • 01 सितंबर- ज्येष्ठ गौरी विसर्जन
  • 03 सितंबर- परिवर्तिनी एकादशी
  • 04 सितंबर- वामन जयंती, भुवनेश्वरी जयन्ती और कल्की द्वादशी
  • 05 सितंबर- ओणम, प्रदोष व्रत (शुक्र), शिक्षक दिवस
  • 06 सितंबर- गणेश विसर्जन और अनंत चतुर्दशी
  • 07 सितंबर- भाद्रपद पूर्णिमा व्रत और चंद्र ग्रहण

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.



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