टोयोटा फॉर्च्यूनर में सनरूफ क्यों नहीं दिया जाता है? जानें कारण.


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Sunroof in Fortuner Car : टोयोटा की सबसे महंगी कारों में शुमार फॉर्च्‍यूनर में आखिर सनरूफ क्‍यों नहीं लगाया जाता है. कई ग्राहकों ने कंपनी से इसकी डिमांड भी की, लेकिन आज तक इस ऑप्‍शन पर विचार नहीं किया गया, आखिर…और पढ़ें

फॉच्‍यूर्नर में क्‍यों नहीं होता सनरूफ, बहुत सोच-समझकर कंपनी ने लिया है फैसलाफॉर्च्‍यूनर कार में कंपनी ने कभी सनरूफ का ऑप्‍शन नहीं दिया है.
नई दिल्‍ली. भारत में भौकाल की गाड़ी मानी जाने वाली फॉच्‍यूर्नर में एक बहुत ही बड़ा फीचर मिसिंग रहता है. लाखों रुपये की कार खरीदने वालों ने इसकी डिमांड भी खूब की, लेकिन कंपनी ने साफ इनकार कर दिया. फॉर्च्‍यूनर कार बनाने वाली कंपनी टोयोटा ने भले ही इसकी कीमत 50 लाख रुपये से ज्‍यादा कर दी है, लेकिन अभी तक उसने एक भी मॉडल में सनरूफ नहीं दिया है. कंपनी ऐसा क्‍यों किया, इसकी वजह जानकार आप भी चौंक जाएंगे.

सनरूफ तो वैसे अब मिडिल रेंज वाली कारों में भी दिया जाने लगा है. टाटा, हुंडई, मारुति सहित लगभग सभी कंपनियां अपने ज्‍यादातर मॉडल में सनरूफ देती हैं. ऐसा नहीं है कि टोयोटा ने सनरूफ नहीं दिया है. इस कंपनी ने भी अपने कई मॉडल में सनरूफ पेश किया है, लेकिन सबसे प्रीमियम कारों में शुमार फॉर्च्‍यूनर में कंपनी ने सनरूफ लगाने से साफ इनकार कर दिया है. अमूमन सनरूफ लगाने की वजह कार को लग्‍जरी लुक देना और उसकी कीमत बढ़ाना माना जाता है, लेकिन फॉच्‍यूर्नर को पहले ही लग्‍जरी कार का दर्जा मिल चुका है और इसकी कीमत तो 50 लाख से भी ज्‍यादा है. बाजवूद इसके इस कार में सनरूफ न देने का लॉजिक काफी चौंकाने वाला है.

कंपनी क्‍यों नहीं देती सनरूफ
टोयोटा ने सनरूफ की डिमांड को न पूरा करने के पीछे एक बड़ी वजह बताया है. इसके पीछे की वजह बहुत ही वैज्ञानिक है. दरअसल, किसी भी चीज को धरती पर टिके रहने के लिए सेंटर ऑफ मॉस का होना बहुत जरूरी है. इसका मतलब है कि अमुक वस्‍तु के केंद्र का भार अच्‍छा-खासा होना चाहिए. अगर उसका सेंटर ऑफ मॉस कम हो जाएगा तो जरा सी स्‍पीड बढ़ने पर कार पलट सकती है. फॉर्च्‍यूनर कार अच्‍छी-खासी लंबी भी होती है और अगर उसके केंद्र में यानी छत पर सनरूफ लगा दिया गया तो कार का सेंटर ऑफ मॉस हल्‍का हो जाएगा. ऐसी स्थिति में 40 से 50 की स्‍पीड से ज्‍यादा जाते ही कार के पलटने का खतरा बढ़ जाएगा.

गाड़ी का बैलेंस बनाना जरूरी
फॉर्च्‍यूनर कार काफी लंबी होने की वजह से उसके सेंटर ऑफ मॉस को बनाए रखने के लिए कंपनी ने बेस को वजनदार बनाया है. इसके साथ ही कार की छत को भी काफी मजबूत बनाया जाता है. कंपनी का कहना है कि अगर कार की छत में सनरूफ निकाल दिया जाएगा तो यह न सिर्फ कमजोर हो जाएगी, बल्कि कार के बीच में इसका वजन भी कम हो जाएगा और इसका सीधा असर सेंटर ऑफ मॉस पर पड़ेगा. ऐसी स्थिति में कार के स्‍पीड में मोड़ने या फिर पहाड़ों पर चलाते समय झुकाव बढ़ने पर पलटने का खतरा रहता है.

3 और कारण हैं इसके पीछे

  • सनरूफ लगाने से कार के अन्‍य फीचर और स्‍ट्रक्‍चर में बदलाव करना पड़ेगा, जिससे उसकी कीमत पर भी असर पड़ सकता है और भारत में पहले से ही महंगी आ रही इस कार का दाम बढ़ सकता है.
  • भारतीय जलवायु के तहत यहां ज्‍यादातर समय तापमान 40 डिग्री के आसपास रहता है और ऐसे में सनरूफ की उपयोगिता ज्‍यादा नहीं रह जाती है.
  • फॉर्च्‍यूनर जैसी कार 7 सीटर ऑप्‍शन के साथ आती है और सनरूफ लगाने से पीछे की सीट पर बैठे हुए यात्रियों को इससे परेशानी हो सकती है.
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    Pramod Kumar Tiwari

    प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि…और पढ़ें

    प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि… और पढ़ें

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