कहीं वर्क स्पेस तो नहीं बिगाड़ रहा आपकी मेंटल और फिजिकल हेल्थ, कुछ ऐसी होनी चाहिए आपकी काम वाली जगह

प्लम इंश्योरेंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 70 प्रतिशत एम्पलाॅय मीडियम से लेकर गंभीर लेवल की क्रॉनिक बीमारियों के खतरे में है. यह आंकड़ा विकसित देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है. वही चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 14 प्रतिशत एम्पलाॅय ही खुद को वर्कप्लेस पर वास्तव में स्वस्थ और संतुलित महसूस करते हैं. जबकि 29 प्रतिशत एम्पलाॅय अकेलेपन और तनाव जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. यह रिपोर्ट साफ संकेत देती है कि वर्कस्पेस सिर्फ काम करने की जगह नहीं बल्कि हमारी मानसिक और फिजिकल हेल्थ पर भी गहरा असर डालने वाला वातावरण बन चुका है.
घर का ऑफिस भी बनाएं सेहतमंद और प्रेरणादायक
वर्क फ्रॉम होम आज के समय में आम हो गया है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है आपका घर का वर्कस्पेस आपकी प्रोडक्टिविटी को कैसे प्रभावित करता है. कई लोग आज घर के काम करने वाली कोनों को फिर से डिजाइन करने लगे हैं. खासकर मिड सेंचुरी स्टाइल के साथ. यह डिजाइन स्टाइल दिखने में सुंदर तो है ही साथ ही इमोशनल रूप से भी लोगों को वर्कस्पेस से जोड़ता है. वहीं कुछ एक्सपर्ट इसे लेकर सलाह देते हैं कि आपके घर के वर्कस्पेस में क्लासिक लकड़ी की फिनिशिंग वाला सिंपल फर्नीचर डिजाइन कर सकते हैं. इसके अलावा फ्लोटिंग शेल्फ और कॉम्पैक्ट स्टोरेज जैसे ऑप्शन से भी जगह बचा सकते हैं. इसके अलावा आप अपने वर्क टेबल पर मनी प्लांट जैसे पौधे लगा सकते हैं.
सेहत और काम में बैलेंस बनाना अब मजबूरी नहीं जरूरत
एम्पलाॅय की सेहत को लेकर सामने आए आंकड़े इस बात को मजबूती से साबित करते हैं कि अब ऑफिस और घर दोनों जगह का माहौल पूरी तरह सेहत के अनुसार होना चाहिए. 14 घंटे के हेल्थ वीक जैसे उपाय, हाइब्रिड वर्क मॉडल और सोच समझ कर तैयार किए गए वर्कस्पेस सभी मिलकर एक ऐसा वातावरण बना सकते हैं जिसमें एम्पलाॅय सिर्फ काम नहीं करते बल्कि मेंटल और फिजिकली रूप से फलते फूलते भी है.
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