
सरकारी एजेंसियों के सहयोग से भारत की सड़कों का आधारभूत ढांचा उल्लेखनीय गति से बढ़ रहा है जिससे देश के सड़क नेटवर्क के आधुनिकीकरण और विस्तार में तेजी आ रही है. अगस्त 2024 में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीईसीए) ने तीव्र गति वाले राष्ट्रीय कॉरिडोर के कुल आठ नए प्रस्तावों को मंजूरी दी. सड़कों के निर्माण की प्रक्रिया, तकनीक और संरचना पर इतना ध्यान देने के साथ ड्राइविंग नियमों का पालन सुनिश्चित करते हुए सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने के लिए समान प्रयास किए गए . भारत में 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.72 लाख से अधिक लोगों की जानें चली गई, जिसे रोका जा सकता था. इतनी मौतें होना एक बड़ी त्रासदी है और इसे रोकने के लिए तत्काल ध्यान देने की जरूरत है. सड़क सुरक्षा अभियान 2025 (एसएसए 2025), एक जन जागरूकता अभियान की शुरुआत अपने तीसरे वर्ष के साथ लोगों को संवेदनशील और शिक्षित करने के लिए हुई.
इस वर्ष की थीम – ‘परवाह करेंगे, सुरक्षित रहेंगे’ रही. इसका उद्देश्य देश में सड़कों को सुरक्षित बनाने की दिशा में नागरिकों को यातायात नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करना था. अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए इस वर्ष ये अभियान बच्चों के साथ जुड़ने पर केंद्रित था जिससे वो सड़क सुरक्षा चैंपियन बनें और इस अभियान से जुड़कर सड़क सुरक्षा के प्रति उनमें संवेदनशीलता का भाव भी जगे .
अपने पिछले दो संस्करणों के साथ नागरिकों को सुरक्षा का मूल्य समझाकर सड़कों पर संवेदनशीलता को बढ़ावा देने, मानव जीवन और भारतीय सड़कों को सुरक्षित करने की दिशा में यह पहल लोगों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रही है. इस वर्ष का एसएसए सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम सुनिश्चित करने और मृत्यु दर के संबंध में सड़क सुरक्षा एवं दुर्घटनाओं के प्रति जिम्मेदार लोगों को अधिक जागरूक बनाने के लिए चार प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित था. ये सिद्धांत हैं – परवाह (देखभाल करना), पहल (सड़क सुरक्षा पर जागरूकता के लिए एक शुरुआत), प्रयास (सड़क सुरक्षा कानूनों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास) और परिवर्तन (प्रयासों के द्वारा लाए गए लोगों के व्यवहार और आदतों में परिवर्तन के परिणामों का अवलोकन करना).
रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में हर दिन औसतन 474 मौतें होती हैं, इसका मतलब है हर घंटे 20 मौतें. एक नया दृष्टिकोण अपनाते हुए एसएसए 2025 ने बच्चों के साथ काम किया ताकि प्राथमिक रूप से न केवल यह सुनिश्चित हो कि उनके माता-पिता यातायात नियमों का पालन करें बल्कि यह भी सुनिश्चित किया गया कि वह भी भविष्य में सुरक्षित ड्राइवर बनें. कहानियां सुनाने, कला, शिलांग चैंबर चोईर और शंकर महादेवन के साथ एक विशेष संगीत कार्यक्रम और जुबली थिएटर कंपनी के माध्यम से एसएसए का लक्ष्य बच्चों को सड़क सुरक्षा राजदूत के रूप में शामिल करना था. आयुष कालरा और प्रकृति कालरा जो आयु और पीहू के रूप में लोकप्रिय रूप से जाने जाते हैं, इन ऊर्जावान युवा YouTubers ने भी इसमें एक इंटरैक्टिव क्विज़ की मेजबानी की.
कॉन्सर्ट के अलावा कम उम्र में ड्राइविंग, गुड समरिटन कानून और अन्य पहलुओं के बारे में जागरूकता के लिए जनवरी माह में 20 शहरों में विशेष क्षेत्रीय कार्यक्रम भी हुए. इसके अलावा सड़क सुरक्षा बस ने देश की अलग-अलग जगहों का सफर कराया जिसका उद्देश्य सड़क सुरक्षा के बारे में सीखने को आकर्षक और सुलभ बनाना था. सड़क सुरक्षा दिशानिर्देशों और मज़ेदार सिम्युलेटर लर्निंग गेम्स के साथ, बस पावर पैक थी जिसने अगली पीढ़ी को शिक्षित और सशक्त बनाया. अभिनेता अमिताभ बच्चन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के सड़कों को सुरक्षित करने के आवाहन के माध्यम से इस पहल का समापन टेलीथॉन के साथ हुआ.
हमारी सड़कों पर रोकी जा सकने वाली जान-माल की हानि एक चेतावनी है, जिसे हम आसानी से नज़रअंदाज नहीं कर सकते. सड़क सुरक्षा अभियान 2025 का लक्ष्य युवाओं के मन में सुरक्षा का भाव पैदा करना, उन्हें परिवर्तन के प्रतिनिधि के रूप में सशक्त बनाना है. सड़क नीति विशेषज्ञों, कानून निर्माताओं, अग्रणी उद्योगपतियों और प्रभावशाली लोगों को एकजुट करके यह पहल मानसिकता बदलने, कानूनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की प्रेरणा देती है.
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