
Last Updated:
टेस्ला भारत में कारें नहीं बनाएगी, केवल शोरूम खोलेगी. केंद्रीय मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने बताया कि मर्सिडीज-बेंज, स्कोडा-वोक्सवैगन, हुंडई और किया ने भारत में EV निर्माण में रुचि दिखाई है.

टेस्ला कारें भारत में जल्द ही बिक्री के लिए उपलब्ध होंगी.
हाइलाइट्स
- टेस्ला भारत में केवल शोरूम खोलेगी, निर्माण नहीं करेगी.
- मर्सिडीज-बेंज, स्कोडा-वोक्सवैगन, हुंडई और किया ने EV निर्माण में रुचि दिखाई.
- सरकार विदेशी कंपनियों को भारत में EV निर्माण के लिए प्रोत्साहित कर रही है.
नई दिल्ली. एलन मस्क की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला (Tesla) भारत में अभी कारें नहीं बनाएगी. केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि टेस्ला केवल भारत में शोरूम खोलने की योजना बना रही है, जबकि मैन्युफैक्चरिंग में उसकी कोई दिलचस्पी नहीं है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मंत्री कुमारस्वामी ने कहा, “टेस्ला भारत में निर्माण कार्य शुरू करने के बजाय केवल शोरूम शुरू करने में रुचि रखती है. वे मैन्युफैक्चरिंग को लेकर उत्साहित नहीं हैं.” गौरतलब है कि Tesla ने भारत में अपने EV बेचने के लिए प्रमाणन और होमोलोगेशन (certification and homologation) की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अगले दो से तीन महीनों में बाजार में अपनी पहली कार लॉन्च करने की उम्मीद है.
कुमारस्वामी ने बताया कि भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माण को लेकर मर्सिडीज-बेंज, स्कोडा-वोक्सवैगन, हुंडई और किया जैसी दिग्गज ऑटो कंपनियों ने रुचि दिखाई है. ये कंपनियां ‘भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार निर्माण को बढ़ावा देने की योजना’ के तहत सरकार के साथ चल रही बातचीत में भाग ले रही हैं. इस योजना को पिछले साल अधिसूचित किया गया था, लेकिन इसके विस्तृत दिशा-निर्देश हाल ही में जारी किए गए हैं.
क्या है सरकार की योजना?
सरकार की नई योजना के तहत भारत में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण बढ़ाने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित किया जा रहा है. इस योजना में स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन, आयात शुल्क में रियायत, और स्थानीय नौकरियों के अवसर शामिल हैं. पॉलिसी के अंतर्गत, कंपनियां 15 फीसदी के काफी कम शुल्क पर सालाना 8,000 EV तक आयात कर सकती हैं. बशर्ते कि वे तीन वर्षों के भीतर घरेलू प्रोडक्शन यूनिट लगाने के लिए कम से कम ₹4,150 करोड़ (लगभग $500 मिलियन) का निवेश करें.
टेस्ला की मैन्युफैक्चरिंग में रुचि न होना सरकार के लिए एक झटका हो सकता है, लेकिन यूरोप और कोरिया की कंपनियों की भागीदारी भारत को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण का वैश्विक हब बनाने में मदद कर सकती है. वहीं, फिलहाल टेस्ला भी कई चुनौतियों से जूझ रही है. 2025 की पहली तिमाही में, कंपनी ने वैश्विक वाहन डिलीवरी में 13 फीसदी की गिरावट और नेट प्रॉफिट में 71 फीसदी की गिरावट दर्ज की, जो एक दशक से अधिक में पहली वार्षिक डिलीवरी गिरावट है.
Discover more from News Hub
Subscribe to get the latest posts sent to your email.