
हाइपरसोनिक स्पीड और रडार से बचाव
रिपोर्ट्स के अनुसार, ब्रह्मोस-2 मिसाइल में एक खास तरह का इंजन होगा जिसे स्क्रैमजेट कहते हैं. ये इंजन मिसाइल को बहुत तेज गति से लंबे समय तक उड़ने में मदद करेगा. यह मिसाइल उड़ते समय हवा से ऑक्सीजन का उपयोग करेगी, जिससे इसे एक्स्ट्रा ईंधन ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इससे मिसाइल हल्की और अधिक प्रभावी होगी.

लेकिन ये मिसाइल सिर्फ तेज नहीं है, बल्कि बहुत होशियार भी है. ये जमीन के करीब उड़ सकती है और तेजी से मुड़ सकती है, जिससे दुश्मन के रडार सिस्टम से बचना आसान हो जाएगा. इस मिसाइल को पकड़ना या रोकना बहुत मुश्किल होगा.
ब्रह्मोस-2 से भारत का पलड़ा भारी

चीन का DF-17 हाइपरसोनिक मिसाइल अपनी तेजी और ताकत के लिए जाना जाता है, लेकिन भारत का नया ब्रह्मोस-2 इसे भी पीछे छोड़ सकता है. यह मिसाइल 1,500 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है और इसे जमीन, समुद्र या हवा से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे यह कई प्रकार की लड़ाइयों में उपयोगी साबित हो सकता है.
इस तरह की सर्वांगीण ताकत ब्रह्मोस-2 को एक असली गेम-चेंजर बनाती है. दक्षिण एशिया में बढ़ते तनाव के बीच, यह मिसाइल भारत को एक मजबूत बढ़त दे सकती है और क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकती है.
परीक्षण और आगे की राह
यह नया मिसाइल भारत के DRDO और रूस के NPO माशिनोस्त्रोयेनिया द्वारा मिलकर विकसित किया जा रहा है और हालिया अपडेट के अनुसार, ब्रह्मोस-2 का परीक्षण पहले ही शुरू हो चुका है. ब्रह्मोस-2 का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सामान्य (कन्वेंशनल) और परमाणु दोनों तरह के वारहेड्स ले जा सकता है. इससे यह कई तरह के सैन्य मिशनों के लिए उपयोगी हो जाता है, चाहे वे छोटे हों या बड़े पैमाने पर.
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