
नई दिल्ली. परवाह करेंगे, सुरक्षित रहेंगे: यह सरल सा विचार जो सुरक्षित सड़कों की चाबी भी है कितना अच्छा हो यदि इससे सड़क सुरक्षा की शुरुआत हो. यही विचार इस साल के सड़क सुरक्षा अभियान के मूल में था, जिसमें यह संदेश बहुत स्पष्ट और जोरदार ढंग से सब तक पहुंचाया गया कि सड़क सुरक्षा केवल कानून या जुर्माने तक सीमित नहीं है; यह एक-दूसरे का ख्याल रखने के बारे में है. यह समझने के बारे में है कि हर बार जब हम सड़क पर कदम रखते हैं, तो हमारे पास ताकत होती है एक बदलाव लाने की – न केवल अपने लिए, बल्कि हमारे आस-पास के सभी लोगों के इस संस्करण की यह प्रभावशाली थीम, हमें याद दिलाती है कि, हमारा हर कदम, छोटा हो या बडा, हमारी सड़को को सुरक्षित बनाने में बड़ा महत्वपूर्ण है.
बच्चे, जो कल की सड़कों पर चलेंगे, इस अभियान का केंद्र बिंदु थे. वे हर बार सड़कों पर कदम रखते समय सुरक्षित रहें, यह सुनिश्चित करना हम सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए. बच्चों का मस्तिष्क विचारों को जल्दी ग्रहण करता है इसलिए बच्चों को शिक्षित करने का मतलब है सबके भविष्य के लिए सुरक्षित सड़कों में निवेश करना और यह टेलीथॉन के माध्यम से दिया गया एक ऐसा संदेश था जिस पर सभी वक्ता एकमत थे. जैसा कि श्री अमिताभ बच्चन ने स्पष्ट रूप से कहा, “दूसरों की परवाह करना, अपनी परवाह करना होता है.” उनके शब्दों ने सड़क सुरक्षा अभियान 2025 टेलीथॉन के लिए माहौल तैयार किया, जिसने सबके दिलों तक इस अभियान की आवाज पहुंचाई.
बच्चों को यातायात नियमों का ज्ञान और समझ हो, यह सुनिश्चित करने में माता-पिता और शिक्षकों की भूमिका पर श्री पंकज त्रिपाठी ने जोर दिया. उन्होंने कहा, “बच्चे हमारे समाज का वह हिस्सा हैं जो सबसे आसानी से सीख सकता है. उन्हें कम उम्र से ही सिखाना और एक उदाहरण बनाना हमारी जिम्मेदारी है.” आने वाली पीढ़ी की एक ऊर्जावान प्रतिनिधि नव्या नवेली नंदा ने भी क्विज़ जैसी बच्चों के लिए उपयोगी पहल में शामिल होने के महत्व पर अपने विचार साझा किए. उन्होंने बताया, “हमें बच्चों को आकर्षक तरीकों से सड़क सुरक्षा सिखानी चाहिए, जिससे वे इस अभियान से जुड़ सकें क्योंकि जब हम बचपन से ही अच्छी आदतें डालते हैं तो फिर यह आदतें जीवन भर बनी रहती हैं.”
श्री नितिन गडकरी, प्रसून जोशी, सामंथा रूथ प्रभु और विक्रांत मैसी सहित नेता, कलाकारों और बदलाव की प्रेरणा देने वाले लोगों के एक प्रेरक समूह के साथ मिलकर ये पहल राष्ट्र को एक ऐसे विषय पर विचार करने के लिए एक साथ एक मंच पर लाई जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है, जबकि यह जीवन के रुख को मोड़ देने वाला विषय है . श्री नितिन गडकरी जी ने इस मुद्दे की तात्कालिकता को दोहराते हुए कहा, “अगर पैसा खो जाए तो उसे वापस पाया जा सकता है, लेकिन एक बार किसी की जान चली जाए तो उसे वापस नहीं पाया जा सकता. यह अधिक मूल्यवान है.” उनके शब्दों ने सड़क सुरक्षा मुद्दे की गंभीरता को रेखांकित किया और सबको याद दिलाया कि जीवन का कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
इस अभियान के माध्यम से सामने आई हर कहानी और व्यक्त किए गए प्रत्येक दृष्टिकोण के साथ सड़क दुर्घटना की स्थिति में हर संभव तत्पर कदम उठाने और सहानुभूति की भावना थी, जो हमें याद दिलाती है कि हम जिन सड़कों पर यात्रा करते हैं उनमें सबकी साझेदारी के साथ सम्मान, अनुशासन और देखभाल की जरूरत है. ISI-मार्क वाले हेलमेट सुनिश्चित करने से लेकर लापरवाही पूर्वक ड्राइविंग की निगरानी के लिए AI जैसी तकनीक का लाभ उठाने तक, हर मुद्दे पर जो भी विचार विमर्श हुआ उसमें ऐसे सभी जरूरी कदमों और उपायों के बारे में बात हुई जो जीवन बचा सकते हैं – विशेष रूप से हमारे समाज के सबसे कम उम्र के सड़क उपयोगकर्ताओं के बारे में विचार किया गया. जैसा कि प्रसून जोशी ने कहा, “जीवन अनमोल है, और हमें इसे बचाने के लिए खुद को समर्पित करना चाहिए – न केवल अपने परिवारों के लिए, बल्कि देश के लिए भी.”
सड़क सुरक्षा सिर्फ़ नियमों का नहीं बल्कि जिम्मेदारी का विषय है. यह एक ऐसी संस्कृति बनाने का विषय है जहाँ जीवन की रक्षा करना दूसरा स्वभाव बन जाता है, यह सुनिश्चित करना कि कल की सड़कें सभी के लिए सुरक्षित हों – और इसकी शुरुआत हमारे बच्चों से होनी चाहिए. विक्रांत मैसी के संदेश में छुपी गहराई तब और स्पष्ट होती है जब उन्होंने कहा, “हमें सुरक्षा को कल की एक विषय के रूप में सोचना बंद कर देना चाहिए. यह सभी के जीवन की रक्षा के बारे में है, विशेष रूप से इस मुद्दे से जुड़े सबसे संवेदनशील लोगों के बारे में है.”
सड़क सुरक्षा जागरूकता का एक महीना
अभियान की शुरुआत भविष्य के ड्राइवरों के लिए एक भव्य उद्घाटन समारोह से हुई और उन लोगों के साथ समाप्त हुई जिन्होंने इस अभियान को प्रभावी बना दिया. एक महीने के दौरान, सड़क सुरक्षा जागरूकता साकार करने का मिशन सड़कों पर उतर आया. सड़क सुरक्षा अभियान बस को प्रतीकात्मक रूप से हरी झंडी दिखाना एक गौरवमयी पल था, जो जागरूकता को दूर-दूर तक फैलाने का एक प्रयास है. इस मिशन का केंद्र क्षेत्रीय आयोजनों में निहित था जो विभिन्न लोगों को एक दूसरे की कहानियां जानने, कार्यक्रमों में भाग लेने और यह समझने के लिए एक साथ आये कि कैसे सरल तरीके – जैसे सीटबेल्ट पहनना या ट्रैफ़िक नियमों का पालन करना – आपका जीवन बचा सकता है.
कार्यक्रम के समापन पर यह संदेश दिया गया कि सड़क सुरक्षा या सड़क सुरक्षा का मतलब सिर्फ़ नियम पुस्तिका का पालन करना नहीं है, बल्कि दूसरों और खुद की सुरक्षा की साझा ज़िम्मेदारी है. सामंथा रूथ प्रभु ने अभियान के सार को बखूबी समझा जब उन्होंने कहा, “हमें सड़क सुरक्षा को अपनी आदत बना लेनी चाहिए. हम इसे जितना ज़्यादा प्राथमिकता देंगे, हम उतने ही सुरक्षित रहेंगे.”
अंत में, सड़क सुरक्षा अभियान का यह तीसरा संस्करण सिर्फ़ एक आयोजन नहीं था; यह एक आंदोलन था सड़क सुरक्षा को हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बनाने के लिए सबकी भागीदारी का एक आह्वान. सबकी परवाह, सम्मान और ज़िम्मेदारी की आदत बनाकर, हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जहाँ सड़कें सभी के लिए सुरक्षित हों.
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