
Last Updated:
दिल्ली में फोन नेटवर्क की समस्या का एक नया कारण सामने आया है. चोर अब मोबाइल टावर के पार्ट्स तक को निशाना बना रहे हैं, जिससे नेटवर्क में दिक्कतें आ रही हैं.

अगर आप दिल्ली में रहते हैं और मोबाइल में कमजोर सिग्नल के कारण परेशान हैं तो इसके लिए टेलीकॉम कंपनियों को जिम्मेदार मत ठहराइये. दरअसल, आपके मोबइल में सिग्नल न आने के पीछे टेलीकॉम कंपनियों का नहीं, बल्कि चोरों का हाथ है.

जी हां, साल 2023 में, देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों में से एक, एयरटेल के राष्ट्रीय नोडल अधिकारी ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि राजधानी के कई स्थानों पर उसके सिग्नल ट्रांसमिशन में गड़बड़ी हो रही थी. जांच में पता चला कि कंपनी के टावरों से जुड़े रिमोट रेडियो यूनिट्स (RRUs) और बेस बैंड यूनिट्स (BBU) चोरी हो रहे थे, जिनकी कीमत करोड़ों में है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, जो जांच में शामिल हैं, उन्होंने बताया कि यह उपकरण मोबाइल टावरों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है BBUs. BBUs एंटीना के जरिए मोबाइल यूजर्स सिग्नल प्राप्त करते हैं, जो सिग्नल को RRUs में स्थानांतरित करता है ताकि वॉयस कॉल और इंटरनेट जैसी डेटा सेवाओं को प्रोसेस किया जा सके.

साल 2023 से 2025 के बीच, दिल्ली-एनसीआर से एयरटेल टावरों के 7,000 RRUs, जिनकी कीमत 350 करोड़ रुपये है, चोरी हो गए. सेवा में बाधा की शिकायतें एयरटेल को बार-बार मिल रही थीं.

एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि जब एक RRU चोरी हो जाता है, तो नए हिस्सों को फिर से स्थापित करने और सामान्य सेवाओं को बहाल करने में लगभग एक दिन लगता है. उस पूरे दिन, टावर द्वारा सेवा किए गए पूरे क्षेत्र को परेशानी होती है.

क्राइम ब्रांच की इंटर-स्टेट सेल की एक टीम, इंस्पेक्टर शिवराज सिंह के नेतृत्व में, बड़ी चोरी की एफआईआर की जांच के लिए बनाई गई थी. इस टीम ने एक इंटर स्टेट रैकेट का पर्दाफाश किया.

जांच में शामिल अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर चोरी किए गए RRU और BBU ट्रांस यमुना क्षेत्र के काले बाजार में बेचे जा रहे थे. इसके बाद इन्हें देश से बाहर तस्करी कर दी जाती थी. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये टूल्स सीलमपुर, शाहदरा, जैतपुर जैसे ट्रांस यमुना क्षेत्रों से लेकर पालम, दिल्ली कैंटोनमेंट तक के इलाकों से चोरी किए गए थे.

इस टूल्स की चोरी की प्रक्रिया में तीन लोग शामिल होते हैं. एक व्यक्ति टावर पर चढ़कर कंपोनेंट को अलग करता है. फिर वह नीचे उतरता है, जहां दूसरा व्यक्ति बाइक पर इंतजार कर रहा होता है. वह व्यक्ति RRU को तीसरे व्यक्ति के पास ले जाता है, जो कुछ किलोमीटर दूर खड़ा होता है और फिर वह इसे काले बाजार में बेच देता है.

एक मोबाइल टावर में चार RRU होते हैं, एक पुलिस कर्मी ने बताया, जिनकी कीमत लगभग Rs 3 लाख से Rs 5 लाख होती है. हर बार जब चोर एक टावर को निशाना बनाते हैं, तो कंपनी को Rs 20 लाख का सीधा नुकसान होता है.
Discover more from News Hub
Subscribe to get the latest posts sent to your email.