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फोक्सवैगन ने भारत सरकार पर 120 अरब रुपये के टैक्स नोटिस के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में केस दर्ज किया है। कंपनी का दावा है कि यह टैक्स डिमांड अत्यधिक है और इंपोर्ट टैक्स नियमों से मेल नहीं खाती।

कंपनी ने सरकार के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में केस फाइल किया है.
हाइलाइट्स
- फोक्सवैगन ने 120 अरब रुपये टैक्स नोटिस के खिलाफ केस दर्ज किया.
- कंपनी का दावा है कि टैक्स डिमांड अत्यधिक और नियमों से मेल नहीं खाती.
- बॉम्बे हाईकोर्ट में 5 फरवरी को सुनवाई शुरू होगी.
नई दिल्ली. जर्मनी की दिग्गज ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी फोक्सवैगन (Volkswagen) ने भारत सरकार पर मुकदमा दर्ज किया है. भारत सरकार की ओर से कंपनी पर 1.4 अरब डॉलर यानी तकरीबन 120 अरब रुपये का टैक्स कंपनी पर लगाया गया है. कंपनी ने इसी के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में केस फाइल किया है. कंपनी का मानना है कि सरकार की ओर की गई ये टैक्स डिमांड बहुत ज्यादा है और भारत के इंपोर्ट टैक्स के नियमों से भी मेल नहीं खाती. कंपनी का मानना है सरकार की भारी टैक्स की मांग का गलत प्रभाव कंपनी के भारत में 130 अरब के निवेश पर भी पड़ेगा.
क्या है मामला?
दरअसल, सितंबर 2024 में भारत सरकार की ओर से फोक्सवैगन कंपनी को 120 अरब रुपये का टैक्स नोटिस भेजा गया. इस पर भारत सरकार का तर्क है कि कंपनी ने टैक्स बचाने के लिए कारों को कई हिस्सों में बांटकर भारत के बाजार में इंपोर्ट किया. नियमों के मुताबिक सरकार पूरी तरह असेंबल न की गई कारों यानी कि CKD यूनिट्स पर 30-35 पर्सेंट का टैक्स वसूलती है. वहीं इससे जुड़े पुर्जों के आयात पर 5 से 15 पर्सेंट तक टैक्स लगता है. कंपनी ने अपने इंपोर्ट्स को व्यक्तिगत पुर्जों के रूप में दिखाया और 5 से 15 प्रतिशत तक ही कर्जा चुकाया.
केस में अब आगे क्या होगा?
फोक्सवैगन और सरकार के बीच इस मामले की सुनवाई आने वाली 5 तारीख यानी 5 फरवरी को शुरू होगी. बॉम्बे हाइकोर्ट में फाइल हुए इस केस को अगर कंपनी हार जाती है तो 242 अरब रुपये तक का जुर्माना कंपनी को भरना पड़ सकता है. वहीं कंपनी का मानना है कि सरकार का नोटिस भारत में विदेशी कंपनियों के ईज ऑफ बिजनेस नीति के खिलाफ है और विदेशी कंपनियों के विश्वास को कम कर सकती है.
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