
परिचय
पंचायत, एक ऐसी वेब सीरीज जो 2020 में अपनी शुरुआत के साथ ही भारतीय दर्शकों के दिलों में बस गई, अब अपने चौथे सीजन के साथ एक बार फिर लौट आई है। अमेजन प्राइम वीडियो पर 24 जून 2025 को रिलीज हुई यह सीरीज, द वायरल फीवर (TVF) द्वारा निर्मित है। इसे चंदन कुमार ने लिखा है, जबकि दीपक कुमार मिश्रा और अक्षत विजयवर्गीय ने इसका निर्देशन किया है। फुलेरा गांव की सादगी भरी कहानी, हास्य और भावनाओं का मिश्रण, और पंचायत चुनावों की उथल-पुथल इस सीजन को पहले से कहीं अधिक रोचक बनाती है। इस लेख में हम पंचायत सीजन 4 की कहानी, किरदारों, IMDB रेटिंग्स, और इसकी खासियतों पर विस्तार से बात करेंगे।
सभी सीजनों की IMDB रेटिंग
पंचायत के सभी सीजनों ने दर्शकों और समीक्षकों से खूब वाहवाही बटोरी है। नीचे प्रत्येक सीजन की IMDB रेटिंग दी गई है (24 जून 2025 तक):
- सीजन 1 (2020): 8.5/10
- 8 एपिसोड्स के साथ, इस सीजन ने अभिषेक त्रिपाठी के फुलेरा गांव में पंचायत सचिव के रूप में शुरुआती सफर को दिखाया। इसकी सादगी और हास्य ने इसे 8.5 की रेटिंग दिलाई।
- सीजन 2 (2022): 8.9/10
- यह सीजन अब तक का सबसे उच्च रेटेड है, जिसमें एक एपिसोड को 9.6/10 की रेटिंग मिली। अभिषेक का गांव के प्रति बढ़ता लगाव और रिंकी के साथ रोमांस की शुरुआत ने इसे खास बनाया।
- सीजन 3 (2024): 8.3/10
- पंचायत चुनावों पर केंद्रित इस सीजन को कुछ दर्शकों ने पिछले सीजनों की तुलना में कम प्रभावशाली माना, लेकिन इसकी कहानी और किरदारों ने फिर भी 8.3 की रेटिंग हासिल की।
- सीजन 4 (2025): 8.4/10
- नवीनतम सीजन, जो 24 जून 2025 को रिलीज हुआ, को 8.4 की रेटिंग मिली है। चुनावी ड्रामे और भावनात्मक गहराई ने इसे दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनाया।
कुल मिलाकर, पंचायत की औसत IMDB रेटिंग 8.5/10 के आसपास है, जो इसे भारतीय वेब सीरीज में शीर्ष स्थान दिलाती है।
कहानी का सार
पंचायत सीजन 4 वहीं से शुरू होती है जहां सीजन 3 ने हमें एक रोमांचक मोड़ पर छोड़ा था। इस बार कहानी का केंद्र फुलेरा गांव में होने वाले पंचायत चुनाव हैं, जहां मंजू देवी (नीना गुप्ता) और क्रांति देवी (सुनीता राजवार) के बीच सत्ता की जंग छिड़ी है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ गांव के मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं। अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार), एक इंजीनियरिंग ग्रेजुएट और फुलेरा का पंचायत सचिव, अब अपनी जिंदगी के एक नए पड़ाव पर है। उसके सामने पंचायत की जिम्मेदारियां, CAT परीक्षा के परिणामों की चिंता, और रिंकी (सान्विका) के साथ उसके रिश्ते की नई शुरुआत है।
इस सीजन में विधायक चंद्र किशोर सिंह (पंकज झा) की चालबाजियां, भूषण (दुर्गेश कुमार) की महत्वाकांक्षाएं, और प्रहलाद (फैसल मलिक) का भावनात्मक सफर कहानी को और गहराई देता है। अभिषेक द्वारा भूषण को थप्पड़ मारने का मामला और उसका करियर पर प्रभाव, साथ ही विधायक की साजिशें, कहानी को एक नया ट्विस्ट देती हैं।
किरदारों का जादू
पंचायत की सबसे बड़ी ताकत इसके किरदार हैं, जो हर बार दर्शकों को अपनी सादगी और गहराई से बांध लेते हैं।
- अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार): अब पहले से अधिक परिपक्व, अभिषेक गांव की जिम्मेदारियों और अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाता है। उसका CAT परिणाम और रिंकी के साथ रोमांस इस सीजन का आकर्षण है।
- मंजू देवी (नीना गुप्ता): एक मजबूत प्रधान, मां, और पत्नी के रूप में, नीना गुप्ता का किरदार इस सीजन में और दमदार है।
- ब्रज भूषण दुबे (रघुबीर यादव): प्रधान-पति के रूप में उनकी चतुराई और हास्य दर्शकों को हंसाने में कामयाब रहता है।
- प्रहलाद (फैसल मलिक): उनका भावनात्मक सफर, खासकर विधानसभा चुनाव का प्रस्ताव, इस सीजन में गहराई लाता है।
- क्रांति देवी और भूषण (सुनीता राजवार, दुर्गेश कुमार): उनकी महत्वाकांक्षाएं और चालबाजियां चुनावी ड्रामे को रोमांचक बनाती हैं।
- रिंकी और विकास (सान्विका, चंदन रॉय): उनकी छोटी-छोटी हरकतें और केमिस्ट्री कहानी को जीवंत करती हैं।
इन किरदारों की आपसी नोक-झोंक और केमिस्ट्री इस सीजन को और भी मनोरंजक बनाती है।
कहानी का विकास और थीम
पंचायत सीजन 4 की कहानी गांव की राजनीति के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन यह केवल राजनीति तक सीमित नहीं है। यह ग्रामीण भारत की सामाजिक गतिशीलता, नौकरशाही की चुनौतियों, और व्यक्तिगत रिश्तों की गहराई को दर्शाता है। चुनावी माहौल में मंजू देवी और क्रांति देवी की जंग हास्य और ग्रामीण राजनीति की जटिलताओं को उजागर करती है।
इस सीजन में कई सामाजिक मुद्दों को भी छुआ गया है, जैसे लिंग असमानता, दहेज, और ग्रामीण विकास की चुनौतियां। अभिषेक और रिंकी की प्रेम कहानी एक रोमांटिक ताजगी लाती है, जबकि प्रहलाद का किरदार भावनात्मक गहराई प्रदान करता है। हालांकि, कुछ दर्शकों का मानना है कि हास्य की मात्रा कम है और कहानी कुछ जगहों पर खिंची हुई लगती है।
तकनीकी पहलू
सीजन 4 की सिनेमैटोग्राफी और सेट डिजाइन प्रशंसा के पात्र हैं। मध्य प्रदेश के महोदिया गांव में शूट किया गया यह सीजन, ग्रामीण भारत की खूबसूरती को कैद करता है। अनुराग सैकिया का संगीत और अमिताभ सिंह की सिनेमैटोग्राफी कहानी के मूड को गहरा करती है।
निर्देशन में दीपक कुमार मिश्रा और अक्षत विजयवर्गीय ने अपनी काबिलियत साबित की है। हालांकि, कुछ समीक्षकों का मानना है कि पांचवें एपिसोड में मंजू देवी के पिता की कहानी अनावश्यक थी। फिर भी, कहानी का प्रवाह और किरदारों का विकास इसे देखने लायक बनाता है।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
पंचायत सीजन 4 को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। कुछ दर्शकों ने इसकी सादगी और किरदारों की गहराई की तारीफ की, जबकि अन्य ने हास्य की कमी और धीमी गति की आलोचना की। X पर एक यूजर ने लिखा, “पंचायत सीजन 4 में मंजू देवी बनाम क्रांति देवी की जंग शानदार है। यह relatable और heartwarming है।” वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, “कहानी थोड़ी खिंची हुई लगी, लेकिन फुलेरा की सादगी अभी भी बरकरार है।”
पंचायत की उपलब्धियां
पंचायत ने कई पुरस्कार जीते हैं, खासकर Filmfare OTT Awards में, जहां इसने कॉमेडी सीरीज श्रेणी में कई पुरस्कार अपने नाम किए। सीजन 2 को इसकी कहानी, संवाद, और किरदारों के लिए विशेष प्रशंसा मिली। सीजन 4 की रिलीज के साथ, यह सीरीज भारतीय OTT प्लेटफॉर्म पर एक क्लासिक बन चुकी है।
क्या खास है इस सीजन में?
- चुनावी ड्रामा: मंजू देवी और क्रांति देवी की जंग इस सीजन का मुख्य आकर्षण है।
- अभिषेक और रिंकी की प्रेम कहानी: उनकी कहानी में प्रगति दर्शकों को रोमांटिक अहसास देती है।
- प्रहलाद का भावनात्मक सफर: फैसल मलिक का किरदार दिल जीत लेता है।
- ग्रामीण सादगी: फुलेरा की वास्तविकता और सादगी इस सीजन में भी बरकरार है।
- सामाजिक मुद्दे: लिंग असमानता और ग्रामीण विकास जैसे विषय कहानी को गहराई देते हैं।
तुलना पिछले सीजनों से
- सीजन 1: अभिषेक के गांव में शुरुआती संघर्ष और सादगी ने इसे क्लासिक बनाया।
- सीजन 2: भावनात्मक गहराई और रोमांस की शुरुआत ने इसे सबसे उच्च रेटेड सीजन बनाया।
- सीजन 3: कुछ दर्शकों ने इसे कम प्रभावशाली माना, लेकिन इसने चुनावी राजनीति को अच्छे से दर्शाया।
- सीजन 4: यह सीजन हास्य में थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन भावनात्मक और राजनीतिक ड्रामे में मजबूत है।
निष्कर्ष
पंचायत सीजन 4 फुलेरा की सैर करवाती है, जहां हास्य, भावनाएं, और ग्रामीण जीवन की सादगी एक साथ मिलती हैं। हालांकि, यह पिछले सीजनों की तुलना में थोड़ा कम हास्य और कुछ खिंची हुई कहानी के साथ आता है, फिर भी यह अपनी सादगी और किरदारों की गहराई के दम पर दर्शकों को बांधे रखता है। मंजू देवी और क्रांति देवी की जंग, अभिषेक की निजी और पेशेवर जिंदगी का संघर्ष, और फुलेरा के रंग-बिरंगे किरदार इस सीजन को देखने लायक बनाते हैं।
अगर आप ग्रामीण भारत की सैर करना चाहते हैं और हल्के-फुल्के हास्य के साथ भावनात्मक कहानी का आनंद लेना चाहते हैं, तो पंचायत सीजन 4 आपके लिए एक परफेक्ट पिक है। इसे अमेजन प्राइम वीडियो पर देखें और फुलेरा की इस नई कहानी में खो जाएं।
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