
New EV Policy: 21 फरवरी को टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M), और हुंडई मोटर इंडिया के शेयरों में 6% तक की गिरावट देखी गई. यह गिरावट सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) आयात नियमों में ढील की चर्चा के बीच हुई है. इस कदम से विदेशी कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश आसान हो सकता है, जिससे घरेलू ऑटोमेकर्स के लिए कंपीटिशन बढ़ने की आशंका है. टेस्ला जैसी ग्लोबल कंपनियों के भारत में प्रवेश की तैयारी ने इस चर्चा को और गर्मा दिया है.
महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयरों में लगभग 7 महीनों में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, जो ₹2,653 पर पहुंच गए. टाटा मोटर्स के शेयर 2% गिरकर ₹676 पर और हुंडई मोटर इंडिया के शेयर 2.5% गिरकर ₹1,875 पर पहुंच गए. यह गिरावट इसलिए मानी जा रही है क्योंकि टेस्ला ने भारत में अपनी कारों को बेचने के लिए तेजी से प्रयास शुरू कर दिए हैं.
मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, एलन मस्क की टेस्ला इंक भारतीय बाजार में सीधे आयात के जरिए प्रवेश कर सकती है, न कि तत्काल स्थानीय उत्पादन के जरिए. टेस्ला के भारत में प्रवेश को सुगम बनाने के लिए सरकार ईवी आयात शुल्क में कमी पर विचार कर रही है. इसके अलावा, ईवी आयात नियमों में व्यापक छूट भी दी जा सकती है.
आयात शुल्क में बदलाव
सरकार ने 40,000 डॉलर से ज़्यादा कीमत वाले पूरी तरह से तैयार इलेक्ट्रिक वाहनों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) को घटाकर 70 प्रतिशत कर दिया गया है. हालांकि, एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (AIDC) का अतिरिक्त 40 प्रतिशत लगाया गया है. 10 प्रतिशत सोशल वेलफेयर सरचार्ज (SWS) को छूट दी गई है, जिसके परिणामस्वरूप इस प्राइस पॉइन्ट से ऊपर के इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रभावी आयात शुल्क 110 प्रतिशत हो गया है. 40,000 डॉलर से कम कीमत वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आयात शुल्क 70 प्रतिशत पर बना हुआ है.
शेयर बाजार में किया रिएक्ट
इस खबर के बाद, निफ्टी ऑटो इंडेक्स में 2.5% की गिरावट देखी गई, जो 21,534 अंक पर पहुंच गया. टाटा मोटर्स, एमएंडएम, हुंडई मोटर इंडिया, मारुति सुजुकी और बजाज ऑटो जैसे प्रमुख कंपनियों के शेयरों में गिरावट ने इंडेक्स को प्रभावित किया. निफ्टी ऑटो इंडेक्स में इस साल की शुरुआत से लगभग 6% की गिरावट देखी गई है.
इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी में संभावित बदलाव ने भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र को हिला दिया है. टेस्ला जैसी वैश्विक कंपनियों के प्रवेश से भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, लेकिन यह घरेलू कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती भी होगी. सरकार की यह नीति भारत को वैश्विक ईवी बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
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