
भारत में 2023 में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में वृद्धि चौंकाने वाली रही, जिसमें हर तीन मिनट में एक व्यक्ति की मौत हुई. देश में 2023 में कुल 1.72 लाख सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जो 2022 में हुईं 1.68 लाख मौतों से 4.2% अधिक हैं. 2023 में लगभग 45% मौतें दोपहिया वाहन चलाने वालों की थीं, इसके बाद पैदल यात्रियों की संख्या 20% थी. सुरक्षा उपकरणों का उपयोग न करना, जैसे कि चालकों द्वारा हेलमेट न पहनना, 31.5% मौतों का कारण बना और 9.3% लोग सीट बेल्ट न पहनने के कारण मारे गए. अधिकांश मौतों में तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना सबसे पहले कारणों में से एक था, जो 68.1% मौतों के लिए जिम्मेदार रहा.
ये सभी चिंताजनक आंकड़े सुरक्षित सड़कों और जिम्मेदार व्यवहार की तत्काल आवश्यकता के प्रति हम सभी को जागरूक करने के लिए काफी हैं. ऐसे में गुड सेमेरिटन कानून आशा की किरण के रूप में नजर आता है, जो सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों को समय पर सहायता प्रदान करने और अनगिनत लोगों की जान बचाने की दिशा में उठा एक मजबूत कदम है.
गुड सेमेरिटन कानून क्या है?
सर्वोच्च न्यायालय ने 2012 में सेवलाइफ फाउंडेशन की एक याचिका के बाद 2016 में भारत का पहला गुड सेमेरिटन कानून बनाया, जो सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों की सहायता करने वाले लोगों को किसी सिविल या आपराधिक दायित्व और प्रकरण के बिना कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है. यह कानून उन नागरिकों को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया है जो खुद आगे आकर सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों की सहायता करते हैं.
ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जब राहगीरों ने सड़क दुर्घटना के पीड़ितों की मदद करने से सिर्फ इसलिए मना कर दिया क्योंकि वह पुलिस, अस्पताल और अदालतों के चक्कर नहीं लगाना चाहते थे. कई लोग इस बात से भी अनजान थे कि सड़क दुर्घटना में पीड़ितों को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है और ज्यादातर मामलों में चोटें उपचार योग्य होती हैं.
लोगों को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने हाल ही में गुड सेमेरिटन के लिए पुरस्कार राशि को बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का निर्णय लिया है, जो वर्तमान में 5,000 रुपये की पुरस्कार राशि से पांच गुना अधिक है. ये निर्णय सड़क पर लोगों की जान बचाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
सेव लाइफ फाउंडेशन के संस्थापक और सीईओ पीयूष तिवारी ने कहा, “सड़क दुर्घटना की स्थिति में जान बचाने के लिए हर सेकंड मायने रखता है. सिविल या आपराधिक प्रकरणों के डर से लोगों को मदद करने से हतोत्साहित नहीं होना चाहिए. सेव लाइफ फाउंडेशन की रिट याचिका के बाद 2016 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित गुड सेमेरिटन कानून सिर्फ एक कानून नहीं है – बल्कि यह आम नागरिकों को संकट के समय असाधारण रूप से कार्य करने का अधिकार देता है. भारत में यह सुनिश्चित होना चाहिए कि मदद करने वाले हाथों की रक्षा की जाए, न कि उन्हें सजा मिले.”
गुड सेमेरिटन कानून की मुख्य विशेषताएं
- कानूनी रूप से जिम्मेदार ठहराने से सुरक्षा : गुड सेमेरिटन को कानून द्वारा किसी भी रूप में जिम्मेदार ठहराने या कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा दी जाती है, जो सड़क दुर्घटना पीड़ितों की सहायता करने के परिणामस्वरूप हो सकती है.
- व्यक्तिगत जानकारी की गोपनीयता : जब तक सहायता प्रदान करने वाला व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत जानकारी नहीं देना चाहता, तब तक उसकी पहचान गुप्त रखी जाती है.
- अदालत में पेश होने से छूट : जब तक वे सड़क दुर्घटना की घटनाओं के महत्वपूर्ण गवाह न हों, गुड सेमेरिटन को अदालतों में पेश होने की आवश्यकता नहीं है.
- तत्काल सहायता को प्रोत्साहित करना : कानून द्वारा कानूनी प्रक्रियाओं में उलझने की चिंता किए बिना सड़क दुर्घटना में पीड़ितों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए तैयार खड़े लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है.
गुड सेमेरिटन कानून का प्रभाव
गुड सेमेरिटन कानून का उद्देश्य नागरिकों को उत्पीड़न या धमकी के डर के बिना ‘गोल्डन ऑवर’ के दौरान आगे आकर सड़क दुर्घटना पीड़ितों की सहायता करने के लिए प्रोत्साहित करना है. ‘गोल्डन ऑवर’ सड़क दुर्घटना के बाद के पहले 60 मिनट होते हैं जब समय पर और सही देखभाल से पीड़ित के बचने की संभावना काफी हद तक बढ़ सकती है. सड़क दुर्घटना पीड़ितों की सहायता करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा के अलावा गुड सेमेरिटन कानून दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है और नागरिकों में सहानुभूति और उत्तरदायित्व की भावना बढ़ाता है.
हम कैसे योगदान दे सकते हैं?
सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों की मदद करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है. जीवन रक्षक उपायों में एम्बुलेंस बुलाना, प्राथमिक उपचार देना आदि शामिल हैं. बहुत जरूरी है कि आम जनता को गुड सेमेरिटन कानून के तहत उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाए.
सड़क दुर्घटनाओं के बाद जरूरतमंद लोगों को सहायता आसानी से मिल सके, यह सुनिश्चित करने के लिए गुड सेमेरिटन कानून एक महत्वपूर्ण कदम है. यह कानून लोगों में जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहित करता है और हमारे समाज एक दूसरे के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाता है.
-पार्टनर पोस्ट
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